असंख्य लहरों से तरंगित
जीवन उदधि
अब अचानक शान्त है
एकदम शान्त
घटनाओं के घात-प्रतिघात
अब आन्दोलित नहीं करते
तुम्हारा क्रोध,
तुम्हारी झुँझलाहट देख
आक्रोष नहीं जगता
बस सहानुभूति जगती है
कभी-कभी तुम अचानक
बहुत अकेले और असहाय
लगने लगते हो
दिल में जमा क्रोध का ज्वार
कब का बह गया
अब कोई शिकायत नहीं
कोई आत्मसम्मान नहीं
बस बिखरे हुए रिश्तों को
समेटने में लगी हूँ
तुम्हें पल-पल बिखरता देख
मन चीत्कार उठता है
और मन ही मन सोचती हूँ
ये त मेरा प्राप्य नहीं था
मैं तुम्हें कमजोर और
हारता हुआ नहीं
सशक्त और विजयी
देखना चाहती थी
पता नहीं क्यों तुम
सारे संसार से हारकर
मुझे जीतना चाहते हो
भला अपनी ही परछाई पर
अधिकार की ये कैसी कामना है
जो तुम्हे अशान्त किए है
भूल कर सब कुछ
बस एक बार देखो
मेरी उन आँखों में
जिनमें तुम्हारे लिए
असीम प्यार का सागर
लहराता है
अपना सारा रोष
इनमें समर्पित कर दो
और सदा के लिए
समर्पित हो जाओ
संशयों से मुक्ति पाजाओ।
जीवन उदधि
अब अचानक शान्त है
एकदम शान्त
घटनाओं के घात-प्रतिघात
अब आन्दोलित नहीं करते
तुम्हारा क्रोध,
तुम्हारी झुँझलाहट देख
आक्रोष नहीं जगता
बस सहानुभूति जगती है
कभी-कभी तुम अचानक
बहुत अकेले और असहाय
लगने लगते हो
दिल में जमा क्रोध का ज्वार
कब का बह गया
अब कोई शिकायत नहीं
कोई आत्मसम्मान नहीं
बस बिखरे हुए रिश्तों को
समेटने में लगी हूँ
तुम्हें पल-पल बिखरता देख
मन चीत्कार उठता है
और मन ही मन सोचती हूँ
ये त मेरा प्राप्य नहीं था
मैं तुम्हें कमजोर और
हारता हुआ नहीं
सशक्त और विजयी
देखना चाहती थी
पता नहीं क्यों तुम
सारे संसार से हारकर
मुझे जीतना चाहते हो
भला अपनी ही परछाई पर
अधिकार की ये कैसी कामना है
जो तुम्हे अशान्त किए है
भूल कर सब कुछ
बस एक बार देखो
मेरी उन आँखों में
जिनमें तुम्हारे लिए
असीम प्यार का सागर
लहराता है
अपना सारा रोष
इनमें समर्पित कर दो
और सदा के लिए
समर्पित हो जाओ
संशयों से मुक्ति पाजाओ।
© 2008-09 सर्वाधिकार सुरक्षित!
7 comments:
bhut sundar. jari rhe.
घटनाओं के घात-प्रतिघात
अब आन्दोलित नहीं करते
तुम्हारा क्रोध,
तुम्हारी झुँझलाहट देख
आक्रोश नहीं जगता
बस सहानुभूति जगती है
...ये पंक्तियां ख़ासतौर पर अच्छी लगीं
ab sunder hogayee , yaahi aap ki mastery haen ki aapney ek shabd badal kar tasveer hee badal dee
जो तुम्हे अशान्त किए है
भूल कर सब कुछ
बस एक बार देखो
मेरी उन आँखों में
जिनमें तुम्हारे लिए
असीम प्यार का सागर
अच्छी सुंदर है यह कविता
aapki rachna mujhe prabhawit karti hai
bahut achha likhti hain.......
जो तुम्हे अशान्त किए है
भूल कर सब कुछ
बस एक बार देखो
मेरी उन आँखों में
जिनमें तुम्हारे लिए
असीम प्यार का सागर
लहराता है
अपना सारा रोष
इनमें समर्पित कर दो
और सदा के लिए
समर्पित हो जाओ
संशयों से मुक्ति पाजाओ।
bahut bahut sundar rachana,bhav bhi khubsurat
बस बिखरे हुए रिश्तों को
समेटने में लगी हूँ
तुम्हें पल-पल बिखरता देख
मन चीत्कार उठता है
और मन ही मन सोचती हूँ
ये त मेरा प्राप्य नहीं था
man ko behad perbhavit kiya hai es rachna ne
Manvinder
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