शब्दो का खेल था
शब्दो से खेला था
निशब्द तुम्हारे शब्दो ने
शब्दो को मेरे झेला था
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सामाजिक कुरीतियाँ और नारी , उसके सम्बन्ध , उसकी मजबूरियां उसका शोषण , इससब विषयों पर कविता
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" नारी जिसने घुटन से अपनी आज़ादी ख़ुद अर्जित की और लिखा अपने मन मे बसी स्वतंत्रता को "
4 comments:
bhut badhiya Rachanaji.
निशब्द तुम्हारे शब्दो ने
शब्दो को मेरे झेला था
wah wah bahut sundar
निशब्द तुम्हारे शब्दो ने
शब्दो को मेरे झेला था
बहुत खूब
इतने सारे शब्द कि शब्द ही शब्द हो गये चारों ओर।
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