शब्दो को शब्द खीचते है
शब्दो से शब्द खिचते है
शब्दो मे शब्द होते है
निशब्द फिर भी शब्द होते है
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सामाजिक कुरीतियाँ और नारी , उसके सम्बन्ध , उसकी मजबूरियां उसका शोषण , इससब विषयों पर कविता
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3 comments:
शब्द को मिलाकर
शब्दों की माला
बनती है
निशब्द देखते ही
फूट पड़ते है .
बहुत सुंदर अभिव्यक्ति के लिए धन्यवाद्.
अच्छी रचना।
mere vichaar me naari wahi nihshabd hai........
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