मैने तो ऐसा कोई अधिकार
कह कर तो
कभी तुम्हें दिया नहीं
की तुम जो कहोगे
मै मानूगी
फिर भी
जब भी तुमने
कुछ भी कहा मैने माना
क्योकी मै मानती हूँ
की तुम्हारा पूरा अधिकार है
मुझ पर
अधिकार की परिभाषा
रिश्तों की भाषा से
अलग होती है
कुछ रिश्ते अधिकार से बनते हैं
और कुछ रिश्तों मे अधिकार होता है
बिना नाम के रिश्तों मे
अधिकार नहीं प्यार होता है
और प्यार के बन्धन
बिना नाम के
एक दूसरे को
बंधते हैं ता उम्र
और इस बन्धन को
जो स्वीकारते है
वह दुनिया मे
अकेले नहीं होते है
पर अलग जरुर होते है
© 2008-09 सर्वाधिकार सुरक्षित
सामाजिक कुरीतियाँ और नारी , उसके सम्बन्ध , उसकी मजबूरियां उसका शोषण , इससब विषयों पर कविता
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6 comments:
बेहद खूबसूरत ख्याल... अंतिम पंक्तियों में तो रुहानी प्यार की सटीक परिभाषा है..
"वह दुनिया मे
अकेले नहीं होते है
पर अलग जरुर होते है" ----- स्त्य वचन ..
pyaar hamesha alag hi hota hai
bahut achhi
बिना नाम के रिश्तों मे
अधिकार नहीं प्यार होता है
और प्यार के बन्धन
बिना नाम के
एक दूसरे को
बंधते हैं ता उम्र
बहुत खूब रचना ...इसी प्यार से शायद दुनिया कायम है
रचना जी
बहुत ही सुन्दर तथा भावपूर्ण पंक्तियाँ हैं-
कुछ रिश्ते अधिकार से बनते हैं
और कुछ रिश्तों मे अधिकार होता है
बिना नाम के रिश्तों मे
अधिकार नहीं प्यार होता है
और प्यार के बन्धन
बिना नाम के
एक दूसरे को
बंधते हैं ता उम्र
और इस बन्धन को
जो स्वीकारते है
वह दुनिया मे
अकेले नहीं होते है
पर अलग जरुर होते है
इतनी सुन्दर अभिव्यक्ति के लिए बधाई।
Saarthak abhivyakti ke lie badhaaee.
Saarthak abhivyakti ke lie badhaaee.
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