समय ठहर जाए ,
ऐसा कब होता है
हम भी चलते जाए ,
ऐसा कब होता हैं ।
उम्र मायूसी के साथ
बीत जाती हैं
कोई हम तक पहुँच जाए ,
ऐसा कब होता हैं ।
सुबह , शाम और रात आती हैं ,
चली जाती हैं
जिन्दगी मुड़ कर पीछे देखे ,
ऐसा कब होता हैं ।
कुछ हुआ नहीं था ,
केवल कहानी बुनी थी हमने
कहानी हकीकत बन जाए ,
ऐसा कब होता हैं ।
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6 comments:
बहुत बढ़िया अभिव्यक्ति बधाई .
nehad khubsurat,kisi ek line ki tariff nahi kar sakti,puri nazm hi aashna hai,aafrin
बहुत सुंदर !
एक-एक शब्द बोलता हुआ।
सुंदर भाव पूर्ण अभिव्यक्ति
ek ek shabd lajawaab hai aunty ki kavita ka.
हृदय से निकले सहज उद्गार.
बधाई
डा.चंद्रकुमार जैन
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