बहुत दिन बाद आज फिर महसूस किया
कि जैसे गंगा नहा कर मै आयी हूँ
जब भी कहीं कुछ मरता है
गंगा नहाना बहुत जरुरी होता है
अस्थिया भी विसर्जित गंगा मे ही होती है
पाप भी गंगा मे ही धुलते है
पाप ही नहीं पुण्य करके भी गंगा नहाते है
भटके हुओं को घर पंहुचा कर भी गंगा नहाते है
कायर रिश्तों की लाश को कब तक मै ढोती
दूसरो के पापो को कब तक मै सहजती
कर दिया है मैने विसर्जन
अनकहे के इंतज़ार का
बहुत दिन बाद आज फिर महसूस किया
कि जैसे गंगा नहा कर मै आयी हूँ
कि जैसे गंगा नहा कर मै आयी हूँ
जब भी कहीं कुछ मरता है
गंगा नहाना बहुत जरुरी होता है
अस्थिया भी विसर्जित गंगा मे ही होती है
पाप भी गंगा मे ही धुलते है
पाप ही नहीं पुण्य करके भी गंगा नहाते है
भटके हुओं को घर पंहुचा कर भी गंगा नहाते है
कायर रिश्तों की लाश को कब तक मै ढोती
दूसरो के पापो को कब तक मै सहजती
कर दिया है मैने विसर्जन
अनकहे के इंतज़ार का
बहुत दिन बाद आज फिर महसूस किया
कि जैसे गंगा नहा कर मै आयी हूँ
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4 comments:
dusron ke paap ko kar diya visarjit aur ganga nahane ka sukh pane ka khayal bahut hi sundar khayal,badhai
Rachanaji bhut sundar kavita. likhati rhe.
jitni bhi taareef karun kam hai........
कर दिया है मैने विसर्जन
अनकहे के इंतज़ार का
बहुत दिन बाद आज फिर महसूस किया
कि जैसे गंगा नहा कर मै आयी हूँ
बहुत खूब ...गहरे भाव लिए बहुत ही सरल लफ्जों में कह दिया आपने ...
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