नारी है एक प्यार की मूरत
उढ़ेलती जाती प्रेम रस को…
चढ़ा देती है अपने प्यार के पुष्प वो
देवता और इन्सान के चरणो में
छू लेती है जब वो कलम को
बन के सुंदर गीत प्रेम के,
विरह के निकल आते हैं
कविता में ढल के उस के बोल
बस प्रेम मय हो जाते हैं..
चुनती है वह घर का आँगन
जहाँ सिर्फ़ प्रेम के बाग लहराते हैं
उड़ने के लिए चुनती है सिर्फ़ वही आकाश
जहाँ सिर्फ़ उसके सपने सज जाते हैं..
गीत लिखती है वो वही सिर्फ़
जिसके बोल उसके पिया मन भाते हैं
प्रेम में स्त्री के दोनो जहान सिमट आते हैं
प्रेम में डूब कर कब रहता है उस को भान समय का
उसके शब्दकोष में बस प्यार के रहस्य ही समाते हैं!!
© 2008-09 सर्वाधिकार सुरक्षित!
उढ़ेलती जाती प्रेम रस को…
चढ़ा देती है अपने प्यार के पुष्प वो
देवता और इन्सान के चरणो में
छू लेती है जब वो कलम को
बन के सुंदर गीत प्रेम के,
विरह के निकल आते हैं
कविता में ढल के उस के बोल
बस प्रेम मय हो जाते हैं..
चुनती है वह घर का आँगन
जहाँ सिर्फ़ प्रेम के बाग लहराते हैं
उड़ने के लिए चुनती है सिर्फ़ वही आकाश
जहाँ सिर्फ़ उसके सपने सज जाते हैं..
गीत लिखती है वो वही सिर्फ़
जिसके बोल उसके पिया मन भाते हैं
प्रेम में स्त्री के दोनो जहान सिमट आते हैं
प्रेम में डूब कर कब रहता है उस को भान समय का
उसके शब्दकोष में बस प्यार के रहस्य ही समाते हैं!!
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5 comments:
बहुत ही बढ़िया... सुंदर अनुभूति
आपकी कविता पर मेरे मन में यह शब्द आये और लिख डाले। आपकी कविता भावपूर्ण है और इसे देखकर एक कवि मन में इस तरह के विचार आना स्वाभाविक है।
दीपक भारतदीप
14 बरस की वह लड़की
रात को बिस्तर पर सोई थी
सुबह एक लाश हो गयी
सवाल उठते हैं ढेर सारे
मिलता नहीं कोई जवाब
पिता पर लगा है आरोप
पर मां क्यों खामोश हो गयी
एक पुरुष के अत्याचार की शिकार बच्ची
हैरान है परेशान है
एक बच्ची आती है उसके जिस्म में
अपने जीवन की सांस ढूंढती हुई
पर नानी इंतजार में थी शायद
भले ही अनैतिक होगा
लड़का हुआ तो अपना ही होगा
पर कोख से बाहर निकलते ही
नानी ने मचाया बवाल
बच्ची का गला घोंट दिया
जन्म लेते ही जननी ने
जेल ही उसकी आरामगाह हो गयी
हजारों खबरे हैं ऐसीं हैं
तब सोचता हूं क्यों लाचार हो जाती है औरत
क्यों औरत को ही बेबस बनाती औरत
आदमी के अनाचारों के हजारों किस्से हैं
पर औरत खुद भी क्यों बदनाम हो गयी
मां की ममता
बहिन का स्नेह
पत्नी का प्रेम
आदमी की होता है मन की पूंजी
कितने बदनसीब होते हैं
जो इससे वंचित हो जाते हैं
और फिर कहानी में जगह पाते हैं
जिनकी चर्चा सरेआम हो गयी
...........................
bahut khubsurat,nari to prem ki murat hi hai,har alfaz khubsurat
उसके शब्दकोष में बस प्यार के रहस्य ही समाते हैं!!----
हमेशा की तरह सुंदर प्रेममयी अभिव्यक्ति .... नारी के जीवन में ही नही बल्कि इस सृष्टि में भी प्रेम ही सत्य है....
वाह!! गजब-बधाई.
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