सामाजिक कुरीतियाँ और नारी , उसके सम्बन्ध , उसकी मजबूरियां उसका शोषण , इससब विषयों पर कविता

Monday, June 23, 2008

ईक झूठ

शादी बटना तन का
बटना मन का
बटना बिस्तर का
बटना एह्सासो का
क्या शादी सिर्फ बाटती है?
क्या कुछ भी ऐसा नहीं हें
जो जुडता है ?
क्यों मरता है मन
पर शादी नहीं टूट्ती
क्यों टूटते है एहसास
पर शादी नहीं टूटती
क्या सच मे शादी
नहीं टूटती
क्या केवल सात फेरे लेने से
बिस्तर पर साथ सोने से
बच्चो को दुनिया मे लाने से
नारी पत्नी होती है और पुरुष पति
बिना प्यार के शादी निबाहना
ईक झूठ को जीना ही है
शादी को बचाने मे
खतम हो रहा अपनापन
मिट रहा है सब कुछ
पर
फिर भी समाज खुश हैं
कि शादी नहीं टूटी ।
© २००८-०९ सर्वाधिकार सुरक्षित!

7 comments:

Anonymous said...

bhut hi bhav purn rachana. aapki rachana rula gai. likhti rhe.

मीनाक्षी said...

समाज ही नहीं, हम भी खुश होते हैं कि शादी नहीं टूटी...क्योंकि तोड़ना आसान है...इक पल नहीं लगता तोड़ने में...लेकिन जोड़े रखना...यह काम इतना आसान नहीं... जिसने कर लिया वह जीत गया... हार कर भी जीत जैसा जीवन... !!!

mehek said...

bahut sahi kaha rachana ji pyar bin shaadi kuch nahi,ehsaason ka marna hai,magar kahi bichade huye ehsaas shayad phir naye ho sakte hai,shaadi tute nahi yahi khushi ki baat hai,magar haan jaha baat aatma sanman ke pare ho,jaha zindagi daw pe lag jaye,kuch situations mein aazadi bhi achhi.

रंजू भाटिया said...

जिंदगी इतनी आसान नही होती जितनी दिखती है ..सच में तोड़ना आसान है और जोड़ के रखना बहुत मुश्किल पर कभी कभी रिश्ते को निभाने को कई बार यूँ भी जीना पड़ता है ..बहुत सच के करीब है यह कविता आपकी रचना

shivani said...

रचना जी ,यहाँ पर मेरी विचारधारा आपसे कुछ भिन्न है !दरअसल शादी तन ,मन ,बिस्तर और अहसास का बटना नहीं मिलना होता है ,जुड़ना होता है !अग्नि के सामने सात फेरे लेने से ही एक लड़की पत्नी और लड़का उसका पति कहलाता है !शादी बहुत ही पवित्र बंधन है !आजकल बिना फेरे के भी लड़का ,लड़की साथ रहते हैं जो लिव इन रिलेशन कहलाता है परन्तु वो पति पत्नी नहीं होते !आपसी प्यार ,समझ और विचार तो एक दुसरे को समझने से ही बढ़ता है !इसमें कोई संदेह नहीं कि उसमें सालों साल लग जाते हैं !शादी को टूटने से बचने के लिए सिर्फ प्यार ही नहीं धेर्य,विशवास और समझ कि आवश्यकता होती है !

रश्मि प्रभा... said...

ise shaadi ka darja murkh samaaj deta hai.......jahan vichaar hai,santulit soch,wo inkaar karta hai........
prashn achha uthaaya

Anonymous said...

रचना की रचना पढ़ी
जीवन की सटीक तस्‍वीर गढ़ी
समाज खुश हो लेता है कि रिश्‍ता नहीं टूटा
उस रिश्‍ते पर जो सच में जुड़ा ही नहीं
जो जुड़ता है उसे समाज मानता नहीं
कितनी भावनाएं दफन होती हैं
ये सब जानता नहीं