राम बिना सीता
कृष्ण बिना रुक्मिणी
गौतम बिना अहल्या
दुष्यंत बिना शकुंतला
भोगती रही अपनी क्रूर नियती
जी ली उन्होने अधूरी जिन्दगी
तब तुम्हारे बिना मै
क्या जी नहीं सकती
अपनी जिन्दगी ?
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" नारी जिसने घुटन से अपनी आज़ादी ख़ुद अर्जित की और लिखा अपने मन मे बसी स्वतंत्रता को "
3 comments:
ye tho bahut gehra sawal utha hai,shayad ji lungi uske bina,magar ek yaad jarur dil mein rahegi
सवाल तो बहुत ही उचित है इस में ..अच्छी है
मैम आप इतना अच्छा लिखती है, प्लीज अपना ब्लोग बना कर हमें खुद को पढ़ने का मौका दें
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