सामाजिक कुरीतियाँ और नारी , उसके सम्बन्ध , उसकी मजबूरियां उसका शोषण , इससब विषयों पर कविता

Saturday, June 7, 2008

अधूरी जिन्दगी

राम बिना सीता
कृष्ण बिना रुक्मिणी
गौतम बिना अहल्या
दुष्यंत बिना शकुंतला
भोगती रही अपनी क्रूर नियती
जी ली उन्होने अधूरी जिन्दगी
तब तुम्हारे बिना मै
क्या जी नहीं सकती
अपनी जिन्दगी ?


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3 comments:

Anonymous said...

ye tho bahut gehra sawal utha hai,shayad ji lungi uske bina,magar ek yaad jarur dil mein rahegi

रंजू भाटिया said...

सवाल तो बहुत ही उचित है इस में ..अच्छी है

Anita kumar said...

मैम आप इतना अच्छा लिखती है, प्लीज अपना ब्लोग बना कर हमें खुद को पढ़ने का मौका दें