सामाजिक कुरीतियाँ और नारी , उसके सम्बन्ध , उसकी मजबूरियां उसका शोषण , इससब विषयों पर कविता

Sunday, June 22, 2008

नारी

नारी के बिना नर अधुरा नर के बिना नारी,
दोनों संग संग ,साथ निभाते दुनियादारी ,
नारी न हो इस दुनिया मे तो सूनी हो जग सारी ,
गोरी हो या कारी,इस दुनिया की श्रृंगार है नारी ,
अगर न हो ,इस जग मे नारी ,हो जाए जीवन भारी,
नर और नारी मिलकर ही ,रचते दुनिया सारी ,
अपना अपना कर्म निभाते ,दोनों आरी पारी ,पत्नी है नारी ,
माँ भी तो है नारी ,फिर क्यो कहते नारी को ,
आफत है सारी ,अगर न हो नारी तो जीवन हो जाए भारी ,
नारी नही तो नर नही ,नर नही तो नारी,
© 2008-०९ सर्वाधिकार सुरक्षित!

7 comments:

रंजू भाटिया said...

नारी के बिना नर अधुरा नर के बिना नारी,

या बात समझ में आ जाए तो सारा झगडा ही ख़तम हो जायेगा ...:) अच्छी कविता

mehek said...

bahut hi sahi kaha,dono ekdusare ke purak hai,sundar kavita ke liye badhai.

कामोद Kaamod said...

नर और नारी
है जीवन की गाड़ी
क्युंकि--
नारी के बिना नर अधुरा नर के बिना नारी

अच्छी कविता
बधाई.

Anonymous said...

mayaji aapne bilkul sahi likha hai. nari ke bina is sansar me kuch nhi hai.

mamta said...

काश सभी को ये बात समझ आ जाए ।
बहुत अच्छी कविता।

मीनाक्षी said...

प्रभावशाली रचना... सब जानते हैं समझते हैं लेकिन अहम.... बीच मे आ जाता है जो चाह कर भी इस बात को समझने से इंकार कर देता है...

Unknown said...

इस छोटी रचना के लिए आप सबकी प्रतिक्रिया के लिए धन्यवाद