नारी के बिना नर अधुरा नर के बिना नारी,
दोनों संग संग ,साथ निभाते दुनियादारी ,
नारी न हो इस दुनिया मे तो सूनी हो जग सारी ,
गोरी हो या कारी,इस दुनिया की श्रृंगार है नारी ,
अगर न हो ,इस जग मे नारी ,हो जाए जीवन भारी,
नर और नारी मिलकर ही ,रचते दुनिया सारी ,
अपना अपना कर्म निभाते ,दोनों आरी पारी ,पत्नी है नारी ,
माँ भी तो है नारी ,फिर क्यो कहते नारी को ,
आफत है सारी ,अगर न हो नारी तो जीवन हो जाए भारी ,
नारी नही तो नर नही ,नर नही तो नारी,
दोनों संग संग ,साथ निभाते दुनियादारी ,
नारी न हो इस दुनिया मे तो सूनी हो जग सारी ,
गोरी हो या कारी,इस दुनिया की श्रृंगार है नारी ,
अगर न हो ,इस जग मे नारी ,हो जाए जीवन भारी,
नर और नारी मिलकर ही ,रचते दुनिया सारी ,
अपना अपना कर्म निभाते ,दोनों आरी पारी ,पत्नी है नारी ,
माँ भी तो है नारी ,फिर क्यो कहते नारी को ,
आफत है सारी ,अगर न हो नारी तो जीवन हो जाए भारी ,
नारी नही तो नर नही ,नर नही तो नारी,
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7 comments:
नारी के बिना नर अधुरा नर के बिना नारी,
या बात समझ में आ जाए तो सारा झगडा ही ख़तम हो जायेगा ...:) अच्छी कविता
bahut hi sahi kaha,dono ekdusare ke purak hai,sundar kavita ke liye badhai.
नर और नारी
है जीवन की गाड़ी
क्युंकि--
नारी के बिना नर अधुरा नर के बिना नारी
अच्छी कविता
बधाई.
mayaji aapne bilkul sahi likha hai. nari ke bina is sansar me kuch nhi hai.
काश सभी को ये बात समझ आ जाए ।
बहुत अच्छी कविता।
प्रभावशाली रचना... सब जानते हैं समझते हैं लेकिन अहम.... बीच मे आ जाता है जो चाह कर भी इस बात को समझने से इंकार कर देता है...
इस छोटी रचना के लिए आप सबकी प्रतिक्रिया के लिए धन्यवाद
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