सामाजिक कुरीतियाँ और नारी , उसके सम्बन्ध , उसकी मजबूरियां उसका शोषण , इससब विषयों पर कविता

Thursday, June 5, 2008

तुम्हारे अस्तित्व की जननी हूँ मै

पार्वती भी मै
दुर्गा भी मै
सीता भी मै
मंदोदरी भी मै
रुकमनी भी मै
मीरा भी मै
राधा भी मै
गंगा भी मै
सरस्वती भी मै
लक्ष्मी भी मै
माँ भी मै
पत्नी भी मै
बहिन भी मै
बेटी भी मै
घर मे भी मै
मंदिर मे भी मै
बाजार मे भी मै
"तीन तत्वों " मे भी मै
पुजती भी मै
बिकती भी मै
अब और क्या
परिचय दू
अपने अस्तित्व का
क्या करुगी तुम से
करके बराबरी मै
जब तुम्हारे
अस्तित्व की
जननी हूँ मै
तुम जब मेरे बराबर
हो जाना तब ही
मुझ तक आना



पार्वती माता का प्रतीक
दुर्गा शक्ति का प्रतीक
सीता , मंदोदरी, रुकमनी भार्या का प्रतीक
मीरा , राधा प्रेम का प्रतीक
गंगा , पवित्रता का प्रतीक
सरस्वती , ज्ञान का प्रतीक
लक्ष्मी , धन का प्रतीक
बाजार , वासना का प्रतीक
तीन तत्व , अग्नि , धरती , वायु

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6 comments:

रंजू भाटिया said...

नारी का हर रूप अपने में अनोखा है ..और सही है यह कि सब रूपों में वही समाई है बहुत सुंदर कविता लगी मुझे यह आपने बहुत सुंदर भाव और लफ्ज़ में बाँधा है इस रचना को रचना जी !!

Anonymous said...

bahut hi khubsurat tarike se nari ka pure bramhand mein ka astitva chitran huya hai kavita mein,simply superb,badhai

शोभा said...

क्या करुगी तुम से
करके बराबरी मै
जब तुम्हारे
अस्तित्व की
जननी हूँ मै
तुम जब मेरे बराबर
हो जाना तब ही
मुझ तक आना
वाह रचना जी
ये हुई ना बात। आनन्द आ गया पढ़कर। सुन्दर रचना के लिए बधाई

बालकिशन said...

रचना की अद्भुत रचना.
नारी की महत्ता की बयान करती एक सुंदर कविता.
बहुत बहुत बधाई.

pujavijayvargiya said...

muchhe laga ki mera astitva finish hota ja raha hai .islia web par sdalkar nari ka astitva type kiya lekin apki kavita se mujhmen shdti aa gai mere sare qus ke ans apki kavita main mil gaye.hearttouchable poem

Anonymous said...

beautiful thoughts
lovely expression
hats off rachna ji :)