सामाजिक कुरीतियाँ और नारी , उसके सम्बन्ध , उसकी मजबूरियां उसका शोषण , इससब विषयों पर कविता

Friday, May 23, 2008

गुलमोहर

गुलमोहर
लाल, बैंगनी ,पीला -
हर रंग में खिलता है गुलमोहर
धूप में छाँव की तरह ,
घने पत्तों के साये में -
शीतल बयार की तरह
पीले खिले फूल -
तुम्हारी मुस्कान की तरह
नीले आसमान के नीचे
खिले बैगनी फूल -
किसी याद की तरह
ऊँची शाखों से लटकते
लाल गुलमोहर -
मन की आग की तरह

By Neelima गर्ग
© 2008-09 सर्वाधिकार सुरक्षित!

5 comments:

Anonymous said...

aap ka naari blog samuday mae swaagat haen . kavita mae aag aur sheetaltaa dono haen waah

रंजू भाटिया said...

स्वागत है आपका नीलिमा बहुत सुंदर कविता लिखी है आपने

rakhshanda said...

sundar kavita

mehek said...

bahut hi khubsurat

neelima garg said...

Thanks for the encouragement...