सामाजिक कुरीतियाँ और नारी , उसके सम्बन्ध , उसकी मजबूरियां उसका शोषण , इससब विषयों पर कविता

Tuesday, May 27, 2008

गंधाती सड़क

गंधाती सड़क = वेश्या = अकेली स्त्री = दूसरे की पत्नी = दूसरे की बेटी = महिला ब्लॉगर
आप जिस परिवेश मे भी हो क्योकी आप महिला हैं इस लिये इस बदबू को आपको झेलना ही पडेगा । सदी बदले , युग बदले क्या फरक हैं ??

गंधाती सड़क


एक गंधाती सड़क से पूछा
दूसरी गंधाती सड़क ने
क्या बात हैं हम क्यों इतना गंधाती हैं
ये गंध ना डीजल की है , ना पट्रोल की
फिर कहाँ से आती हैं
जवाब दिया दूसरी सड़क ने
अरी बावरी अभी यहाँ से
एक जो गया हैं
अपना परिचय वह
यहाँ सार्वजनिक कर गया है
इस गंध को सालो से हर
सड़क झेल रही है
पता नहीं और कब तक झेलेगी
सबके घरो मे हैं
एक सुलभ शौचालय
फिर भी सडको पर
इनका आना जाना
लगा ही रहता
और सड़के गंधाती रहती है

© 2008-09 सर्वाधिकार सुरक्षित!

3 comments:

neelima garg said...

very thought provoking...

शायदा said...

जर्बदस्‍त,

रंजू भाटिया said...

यह भी जीवन का एक सच है जो आपकी कलम से उतरा है बहुत कुछ कह रही है यह कविता ..अच्छा लगा यह अंदाज़ भी