तुम तो कहती थी माँ कि..
रह नही सकती एक पल भी
लाडली मैं बिन तुम्हारे
लगता नही दिल मेरा
मुझे एक पल भी बिना निहारे
जाने कैसे जी पाऊँगी
जब तू अपने पिया के घर चली जायेगी
तेरी पाजेब की यह रुनझुन मुझे
बहुत याद आएगी .....
पर आज लगता है कि
तुम भी झूठी थी
इस दुनिया की तरह
नही तो एक पल को सोचती
यूं हमसे मुहं मोड़ जाते वक्त
न तोड़ती मोह के हर बन्धन को
और जान लेती दिल की तड़प
पर क्या सच में ..
उस दूर गगन में जा कर
बसने वाले तारा कहलाते हैं
और वहाँ जगमगाने की खातिर
यूं सबको अकेला तन्हा छोड़ जाते हैं
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ढल चुकी हो तुम एक तस्वीर में माँ
पर दिल के आज भी उतनी ही करीब हो
जब भी झाँक के देखा है आंखो में तुम्हारी
एक मीठा सा एहसास बन कर आज भी
तुम जैसे मेरी गलती को सुधार देती हो
संवार देती हो आज भी मेरे पथ को
और आज भी इन झाकंती आंखों से
जैसे दिल में एक हूक सी उठ जाती है
आज भी तेरे प्यार की रौशनी
मेरे जीने का एक सहारा बन जाती है !!
रंजू
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माँ,अम्मा,मम्मी
माँ जिन्हें हम सब भाई बहन
अलग-अलग नाम से बुलाते
कोई माँ तो कोई अम्मा तो कोई मम्मी कहता।
आज माँ हम सबसे बहुत दूर है
पर आज भी माँ हम सबके बहुत करीब है।
आज भी उनका प्यार करना
उनका डांटना उनका दुलारना
सब याद आता है।
माँ जिन्होंने जिंदगी मे कभी
हार नही मानी , यहां तक की
मौत को भी तीन बार हराया
पर आख़िर मे जिंदगी ने
उन का साथ छोड़ दिया।
और माँ ने हम सबका।
आज भी माँ का वो हँसता मुस्कुराता
चेहरा आंखों और दिल मे बसा है
माथे पर बड़ी लाल बिंदी
और मांग मे सुर्ख लाल सिन्दूर
सब याद आता है ,बहुत याद आता है।
2 comments:
nice ,very nice...
great job. bahut hi khubsurat v umdaa rachnaa....great great great...
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