सामाजिक कुरीतियाँ और नारी , उसके सम्बन्ध , उसकी मजबूरियां उसका शोषण , इससब विषयों पर कविता

Thursday, May 22, 2008

क्योकि मैने निष्ठा से सिर्फ तुमको चाहा

आये थे कृष्ण एक बार वापस विरंदावन
कहा था उन्होने राधा से
" तुम्हे ही चाहता हूँ मै प्रिये
लौटा हूँ
फिर एक बार पाने के लिये प्यार तुम्हारा "
बोली राधा
" मेरा प्यार तो सदा ही है तुम्हारा
पर क्या तुम रुक्मणी को छोड़ कर आये हों "
बोले कृष्ण " रुक्मणी पत्नी है और राधा तुम प्यार हों मेरा "
" अब वापस तो नहीं जाओगे " राधा का प्रश्न था
" नहीं वापस तो जाना है , संसार का कर्म निभाना है"
बोली फिर राधा " जाओ लॉट जाओ
रुक्मणी को छोड़ कर आते तो मेरा प्यार पाते
इस युग मे तो क्या किसी भी युग मे मुझे तक
वापस आओगे मेरा प्यार पाओगे पर
जैसे मै तुम्हारी हूँ
तुमको भी केवल मेरा बन कर रहना होगा
मुझे प्यार करना और रुक्मणी से विवाह करना
ये पहली गलती थी और
फिर वापस आकर मेरे प्यार की कामना
दूसरी ग़लती है तुम्हारी "
वापस चले गए कृषण
और जाकर अपनी इस यात्रा का विवरण
इतिहास से ही मिटा दिया
क्योकि उन्हें तो भगवान बनना था
मिटा दिया नारी की जागरुकता को
और पुरुष कि कायरता को
उन्होने इतिहास के पन्नो से
क्योकि इतिहास तो हमेशा पुरुष ही लिखते है
फिर एक दिन
फिर मिले वह राधा से
कई युगो बाद
एक मंदिर मे
कहा राधा ने
देखो आज मै भी वहीं स्थापित हूँ
जहां तुम स्थापित हो
पर मेरा नाम तुम्हारे नाम से पहले
लेते है लोग इस युग के
क्योकी उस युग मे मै सही थी
प्रेम एक वक़्त मे केवल एक से करना
हों सकता है फिर दुसरे युग मे
तुम पराई स्त्री के साथ नहीं
रुक्मणी के साथ पूजे जाओ
तुमने जो कुछ पाया
मुझे भी वही मिला
अलग अलग रास्तो से
एक ही जगह पहुंच गए है हम
पर है हम " राधा कृष्ण "
क्योकि मैने निष्ठा से
सिर्फ तुमको चाहा

और
अपना सम्मान मैने
स्वयम अर्जित किया
© 2008-09 सर्वाधिकार सुरक्षित!
इस कविता का मे राधा कृष्ण को आज के परिवेश मे देखे । इतिहास क्या कहता हैं नहीं जानती पर मन कहता हैं "राधा" महिला सशक्तिकरण की पहली नायिका रही होगी ।

5 comments:

शायदा said...

बहुत सुंदर। औरत के मन को इतनी खू़बसूरती से खोला आपने। बधाई ।

Ila's world, in and out said...

आप सही कह रही हैम,राधा सचमुच महिला सशक्तिकरण की पहली प्रतिनिधि थी.कविता के रूप मेम आपने आज की नारी के भावों को सुन्दर तरीके से उभारा.आपको बधाई.इस ब्लौग के नये कलेवर की रचना के लिये भी रचना को बधाई.

neelima garg said...

nice poem

रंजू भाटिया said...

बहुत ही सुंदर रचना रची है रचना आपने

क्योकि मैने निष्ठा से
सिर्फ तुमको चाहा
और
अपना सम्मान मैने
स्वयम अर्जित किया

बहुत खूब

शोभा said...

रचना जी
आपने राधा और कृष्ण को नए संदर्भ में देखा है। एकदम सही बात है। मुझे कविता की सोच अच्छी लगी।