सामाजिक कुरीतियाँ और नारी , उसके सम्बन्ध , उसकी मजबूरियां उसका शोषण , इससब विषयों पर कविता

Tuesday, May 27, 2008

अहसास

उम्र के केनवास पर
वक़्त बनाता गया कुछ धुंधले अक्स
उभरते रहे आकार
चित्रित होते रहे इन्द्रधनुषी रंग
उम्र के कागज पर ,
वक़्त लिखता रहा अपनी इबारत ...
एहसास कि स्याही से
अनुभव कि कलम से
उम्र के कागज पर -
वक़्त करता रहा अपने हस्ताक्षर
अंकित होते रहे कुछ नाम....
---नीलिमा गर्ग

6 comments:

रंजू भाटिया said...

बहुत सुंदर एहसास है यह ..

राजीव रंजन प्रसाद said...

उम्र के कागज पर -
वक़्त करता रहा अपने हस्ताक्षर
अंकित होते रहे कुछ नाम....

वाह!!!

***राजीव रंजन प्रसाद

डॉ .अनुराग said...

वाह नीलिमा जी.....बहुत खूब......

Anonymous said...

एहसास कि स्याही से
अनुभव कि कलम से
उम्र के कागज पर -
वक़्त करता रहा अपने हस्ताक्षर
अंकित होते रहे कुछ नाम....

bahut he sunder panktiyan

mamta said...

बेहद खूबसूरत एहसास !

राकेश जैन said...

sundar shabda sanyojan..