क्या कभी कोई कर पायेगा
तुलना नारी के नाम से,
क्या कोई अदा कर पायेगा
सेवा की कीमत दाम से.
नारी के जीवन का पल-पल
नर सेवा में समर्पित है,
नारी के रक्त का हरेक कण
नर सम्मान में अर्पित है.
क्या चुका पायेगा कोई नर
प्यार का बदला काम से,
क्या कोई अदा कर पायेगा
सेवा की कीमत दाम से.
माँ के रूप में हो नारी
तो बेटे की बगिया सींचें,
पत्नी के रूप में होकर वह
जीवन रथ को मिलकर खींचें.
क्या कर सकता है कोई नर
दूर उनको मुश्किल तमाम से,
क्या कोई अदा कर पायेगा
सेवा की कीमत दाम से.
बहन के रूप में हो नारी
तो भाई की सँभाल करे,
बेटी के रूप में आकर वह
पिता सम्मान का ख्याल करे.
क्या दे पायेगा उनको वह
जीवन के सुख आराम से,
क्या कोई अदा कर पायेगा
सेवा की कीमत दाम से.
सामाजिक कुरीतियाँ और नारी , उसके सम्बन्ध , उसकी मजबूरियां उसका शोषण , इससब विषयों पर कविता
Sunday, December 12, 2010
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3 comments:
क्या कोई अदा कर पायेगा
सेवा की कीमत दाम से.
sachchai ko bagharti hui aapki kavita dil ko choo gayi ........likhte rahiye
वाह! बहुत सुन्दर!
bahut hi jandar abhivyakti .shayad ek nari ke kamon ka pratifal koi nahi ada kar sakta hai .
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