हमारे देश में देवियों की पूजा की जाती है बेटिओं को लक्ष्मी का रूप माना जाता है | फिर भी आज हमारे देश में कन्या भ्रूण हत्या जैसे जघन्य अपराध को अंजाम दिया जाता है | गर्भपात के दौरान मारी जाने वाली बच्चियों कि जगह खुद को रखकर कल्पना कीजिये तो रूह तक कांप उठेगी | कैसा लगता होगा उन्हें ? क्या सोचती होंगी वे ?शायद वे भी कुछ कहना चाहती होंगी अपनी माँ से ,अपने परिवार वालों से .......................................
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सुनो मुझे कुछ कहना है,
हाँ तुमसे हीं तो कहना है |
क्या कहकर तुम्हे संबोधित करूँ मैं ?
मैं कौन हूँ कैसे कहूँ मैं ?
एक अनसुनी आवाज़ हूँ मैं ,
एक अन्जाना एहसास हूँ मैं ,
एक अनकही व्यथा हूँ मैं ,
हृदय विदारक कथा हूँ मैं |
एक अजन्मी लड़की हूँ मैं |
मैं हूँ एक अजन्मी लड़की !
हाँ वही लड़की जिसे तुम जीवन दे न सकी,
हाँ वही मलिन बोझ जिसे तुम ढो न सकी |
अगर इस दुनिया में मैं आती, तुम्हारी बेटी कहलाती |
कहकर प्यार से माँ तुम्हे गले लगाती |
माँ तुम्हे कंहूँ तो कैसे ? जन्म तुमने दिया ही नहीं |
बेटी खुद को कहूँ तो कैसे ?जन्म तुमने दिया ही नहीं |
तुम सब ने मिलकर निर्दयता से मुझे मार डाला |
मेरे नन्हे जिस्म को चिथड़े चिथड़े, बोटी बोटी कर डाला |
सिर्फ लड़की होने की सजा मिली मुझको |
फाँसी से भी दर्दनाक मौत मिली मुझको |
सोचो क्या इस सजा की हकदार थी मैं ?
कहो तो क्या इतनी बड़ी गुनाहगार थी मैं ??
इंदिरा गाँधी, किरण बेदी मैं भी तो बन सकती थी!
नाम तुम्हारा जग में रौशन मैं भी कर सकती थी !
दलित, प्रताड़ित अबला नहीं सबला का रूप धर सकती थी|
तुम्हारे सारे दुःख संताप मैं भी तो हर सकती थी |
तुम्हारी तमनाएँ आशाएं सब को पूरा कर सकती थी |
न कर सकती तो बस इतना बेटा नहीं बन सकती थी |
बेटे से इतना प्यार तो बेटी से इतनी घृणा क्यूँ ?
दोनों तुम्हारे हीं अंश फिर फर्क उनमे इतना क्यूँ ?
काश ! तुम मुझे समझ पाती ,
प्यार से बेटी कह पाती |
काश ! मैं जन्म ले पाती,
जीवन का बोझ नहीं, प्यारी बेटी बन पाती |
© 2008-10 सर्वाधिकार सुरक्षित!
13 comments:
काश ! तुम मुझे समझ पाती ,
प्यार से बेटी कह पाती |
काश ! मैं जन्म ले पाती,
जीवन का बोझ नहीं, प्यारी बेटी बन पाती |
...bahut hi marmsparshi rachna...
ajanmi beti ke saath aaj bhi kanoon aadi ke babjood bhi jo bhurn hatya ho rahi hai, wah bahut hi chinta ka vishya hai... n jaane kab yah mansik soch badal paayegi...
..aapka bahut bahut aabhar
बेहद मर्मस्पर्शी रचना।
आपकी रचनात्मक ,खूबसूरत और भावमयी
प्रस्तुति कल के चर्चा मंच का आकर्षण बनी है
कल (2/12/2010) के चर्चा मंच पर अपनी पोस्ट
देखियेगा और अपने विचारों से चर्चामंच पर आकर
अवगत कराइयेगा।
http://charchamanch.blogspot.com
काश ! तुम मुझे समझ पाती ,
प्यार से बेटी कह पाती |
काश ! मैं जन्म ले पाती,
जीवन का बोझ नहीं, प्यारी बेटी बन पाती |....
बेहद मर्मस्पर्शी रचना..बेटी की महत्ता केवल वही समझ सकते हैं जिन्होंने बेटी का निस्वार्थ प्यार पाया है और महसूस किया है. आज भी लड़कियों की जो भ्रूण हत्या हो रही है, वह हमारे समाज के लिए शर्म की बात है..बेटा चाहे कितना भी दुःख दे फिर भी वह बेटा है, क्यों की वह परिवार का वारिस होता है. पता नहीं यह सोच कब बदलेगी और हम बेटियों के प्यार को समझ पायेंगे. बहुत ही सशक्त और समसामयिक प्रस्तुति...बधाई
बहुत मार्मिक अभिवयक्ति है। शायद कहीं इस हत्या मे नारी खुद भी भागीदार है तभी तो अपने अंश को जीवन नही देती। कब लोग लडकियों को बोझ समझना बन्द करेंगे---\ सोच कर दुख होता है। धन्यवाद।
dard bayan karti kavita par ek tarah se bar bar ki maut se ye maut achhi hai kyonki jo mat-pita ajanmi bachchi ke dushman hain ve janm lene wali bachchi se kis tarah vyavhar karenge iska sahaj hi andaza lagaya ja sakta hai
dhanyawaad aap sabhi ka
wandana ji main bloging ki duniya mein bahut nayi hun 11nov se likhna suru kiya tha maine ye charcha manch kya hai ye bhi mujhey nahi pata tha par aaj aapne meri kawita ko charch k liye chuna main bahut khush hun ise acha janmdin ka tohfa mujhey aaj tak nahi mila
बेहद सटीक रचना आलोकिता
मर्मस्पर्शी ओर सामयिक भी
आक्रोश उभर आता हैं पड़ते ही वर्तमान व्यवस्था ओर मानसिकता पर
तुम अपने मकसद मैं कामयाब हुई आलोकिता
संदेश परिपूर्ण हैं ओर कविता भी
भाव,उद्गार ओर पीड़ा स्पष्ट परिलक्षित हैं
बधाई
ma tumhe kahun to kaise ,janm to tumne diya hi nahi .bahut sateek kavita .
dhanyawad aap sabhi ka meri rachna padhne aur tippani dene k liye
मर्मस्पर्शी,मार्मिक और मन को छूने वाली कविता के लिए बहुत-बहुत द्र्मीनबधाई.
मीना अग्रवाल
Dhanyawaad mina ji
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