मैं यह जान गयी हूँ कि कितना ही बुरा क्यों न हुआ हो और आज मन में कितनी ही कड़वाहट क्यों न हो, यह ज़िंदगी चलती रहती है और आनेवाला कल खुशगवार होगा.
मैं यह जान गयी हूँ कि किसी शख्स को बारिश के दिन और खोये हुए लगेज के बारे में कुछ कहते हुए, और क्रिसमस ट्री में उलझती हुई बिजली की झालर से जूझते देखकर हम उसके बारे में बहुत कुछ समझ सकते हैं.
मैं यह जान गयी हूँ कि हमारे माता-पिता से हमारे संबंध कितने ही कटु क्यों न हो जाएँ पर उनके चले जाने के बाद हमें उनकी कमी बहुत शिद्दत से महसूस होती है.
मैं यह जान गयी हूँ कि पैसा बनाना और ज़िंदगी बनाना एक ही बात नहीं है.
मैं यह जान गयी हूँ कि ज़िंदगी हमें कभी-कभी एक मौका और देती है.
मैं यह जान गयी हूँ कि ज़िंदगी में राह चलते मिल जाने वाली हर चीज़ को उठा लेना मुनासिब नहीं है. कभी-कभी उन्हें छोड़ देना ही बेहतर होता है.
मैं यह जान गयी हूँ कि जब कभी मैं खुले दिल से कोई फैसला लेती हूँ तब मैं अमूमन सही होती हूँ.
मैं यह जान गयी हूँ कि मुझे दर्द सहना गवारा है मगर दर्द बन जाना मुझे मंज़ूर नहीं.
मैं यह जान गयी हूँ कि हर दिन मुझे किसी को प्यार से थाम लेना है. गर्मजोशी से गले मिलना या पीठ पर दोस्ताना धप्पी पाना किसी को बुरा नहीं लगता.
मैं यह जान गयी हूँ कि लोग हमारे शब्द और हमारे कर्म भूल जाते हैं पर कोई यह नहीं भूलता कि हमने उन्हें कैसी अनुभूतियाँ दीं.
मैं यह जान गयी हूँ कि मुझे अभी बहुत कुछ सीखना है.
माया ऐन्जेलूये पोस्ट निशांत ने अपने ब्लॉग पर दी हैं । माया ऐन्जेलू के नाम को क्लिक किया तो काफी जानकारी मिली इनके बारे मे । निशांत के कमेंट्स ब्लोग्स पर पढ़ती रहती हूँ और नारी आधरित मुद्दों पर भी इनका साथ मिलता रहता हैं
सोच आज इनके ब्लॉग कि इस पोस्ट को अतिथि पोस्ट के रूप मे यहाँ दे दूँ ।
5 comments:
रचना जी ,
बहुत बहुत अच्छी पोस्ट . बहुत दिनों बाद कुछ ऐसा पड़ने को मिला कि कुछ सीखा जा सके...
धन्यवाद.
विजय
सच बहुत सुन्दर पोस्ट लगाई है……………आभार्।
bahut hi shandar post .
aap dosron ki achchhi post se bhi hame ro-b-ru karati hai ye main bhi jan gayee hoon .dhanyawad..................
बहुत ही अच्छा।
कृप्या मेरी भी कविता पढ़ी जाय।
www.pkrocksall.blogspot.com
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