आत्मशक्ति
अभिभूत करें पुरुष को
नारी सुलभ गुणों से
शक्ति बनें हम नवयुग की
सम्मानित होकर पुरुष से
रूप नया दें समाज को
अपनी आत्मशक्ति से
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अभिभूत करें पुरुष को
नारी सुलभ गुणों से
शक्ति बनें हम नवयुग की
सम्मानित होकर पुरुष से
रूप नया दें समाज को
अपनी आत्मशक्ति से
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कुछ त्रिपदम नारी के नाम
नर से नारी
दो मात्रा से आगे जो
स्नेही माँ देवी
सृजन-सृष्टा
गर्भगृह समृद्ध
सौभाग्यशाली
भावुक नारी
स्नेही ममतामयी
संवेदनशील
गरिमामयी
धरा पे स्वर्ग लाए
शक्तिशालिनी
मीनाक्षी
ये कविता मीनाक्षी की हैं , रंजू केवल सूत्रधार हैं
© 2008-09 सर्वाधिकार सुरक्षित!
© 2008-09 सर्वाधिकार सुरक्षित!
3 comments:
भावुक नारी
स्नेही ममतामयी
संवेदनशील
गरिमामयी
धरा पे स्वर्ग लाए
शक्तिशालिनी
bahut bahut sundar sashkt,awesome
मीनाक्षी जी
बहुत ही प्रभावी भाषा-शैली का प्रयोग किया है। अति सुन्दर।
मीनाक्षी जी आपके लिखे त्रिपदम हमेशा ही मुझे अच्छे लगे हैं और इनका यह रूप तो बहुत ही अदभुत है ..!!
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