सामाजिक कुरीतियाँ और नारी , उसके सम्बन्ध , उसकी मजबूरियां उसका शोषण , इससब विषयों पर कविता

Sunday, May 9, 2010

मातृ दिवस ना मनाये

मातृ दिवस पर
माँ को करते हैं सलाम
और मातृ दिवस पर ही
कहीं किसी बेटी को करते हैं हलाल

जब भी कहीं कोई बेटी मरती हैं
एक माँ को भी तो आप ख़तम करते हैं
एक बच्चे का ममत्व आप छिनते हैं


आज से कुछ और साल बाद
शायद ना कोई माँ होगी
और ना ही होगी कोई संतान

मातृ दिवस ना मनाये
ऐसी परम्पराए क्यूँ बनाये
जिनेह आगे चल कर
ख़तम ही होना हैं

चलिये मानते हैं
ऑनर किल्लिंग दिवस
कन्या भुंण ह्त्या दिवस
दहेज के नाम पर जलती बहु - दिवस

क्या रखा हैं
मातृ दिवस मे
बालिका दिवस मे

जब मन मे स्नेह नहीं
बेटी के लिये
केवल सम्पत्ति हैं बेटी
कभी अपने घर तो
कभी ससराल
उसका मरना निश्चित हैं
दिवस बस अनिश्चित हैं
सो करिये घोषणा

कब मारेगे अपनी बेटी को
कुछ जश्न फिर नया हो



अजन्मी बेटियों , और्नर किल्लिंग के नाम पर मारी जाती बेटियों और दहेज़ के लोभ मे जलाई जाती बहुओ को समर्पितअरुशी और निरुपमा की याद मे
और हाँ पोस्ट समाज से संबंधित है माँ पिता भाई बहिन सास ससुर से नहीं वैसे समाज मे और कौन होता हैं ??
© 2008-10 सर्वाधिकार सुरक्षित!

7 comments:

Sadhana Vaid said...

मन को झकझोरने वाली मर्मस्पर्शी पोस्ट ! सही कहा आपने जब मन में नारी के लिए सम्मान ही नहीं, उसका घर, परिवार या समाज में कोई महत्त्व, कोई स्थान ही नहीं तो इन ढकोसलों की लकीर पीटने का क्या औचित्य है ! पाश्चात्य सभ्यता की नक़ल करने की परम्परा ने दिखावे के लिए ही सही अपनी माँ बहनों को याद करने के लिए एक अवसर तो कम से कम प्रदान कर ही दिया है वरना अगर हमारे समाज को अगुआई करने के लिए नेतृत्व की बागडोर सौंपी जाती तो निसंदेह रूप से हम ऑनर किलिंग दिवस, कन्याभ्रूण ह्त्या दिवस या दहेज के लिए बहू दहन दिवस ही मना रहे होते ! मार्मिक पोस्ट के लिए आभार !

vandana gupta said...

मार्मिक और बिल्कुल सही चित्रण किया है…………कल के चर्चा मंच पर आपकी पोस्ट होगी।

फ़िरदौस ख़ान said...

बेहद मार्मिक...

अर्चना तिवारी said...

मार्मिक चित्रण .... मातृ दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ !!

मीनाक्षी said...

मुक्त शैली में लिखी भावपूर्ण रचना लेकिन निराशावाद से प्रभावित....गहरे अन्धकार के बाद उजाले को देखना महत्त्व रखता है... कसौटी पर खरा होकर ही सोने की खूबसूरती और निखरती है..जितनी अधिक बाधाएँ..उतना ही आगे बढ़ने का हौंसला बढेगा... मातृ दिवस पर सभी को शुभकामनाएँ

mukti said...

मार्मिक कविता !

S R Bharti said...

कविता बहुत ही रोचक एवं मार्मिक भाव से ओतप्रोत है
हार्दिक अभिनन्दन पूर्ण बधाई