लबो पे जिसके कभी बद्दुआ नहीं होती
वो माँ है जो कभी खफा नहीं होती
जब भी कश्ती मेरी सैलाब में आ जाती है
माँ दुआ करती हुई ख्वाब में आ जाती है
सामाजिक कुरीतियाँ और नारी , उसके सम्बन्ध , उसकी मजबूरियां उसका शोषण , इससब विषयों पर कविता
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5 comments:
सुन्दर प्रसतुति पर धन्यावाद
sundar
बहुत खूब !
कम शब्दों में बहुत बड़ी बात!
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आज ख़ुशी का दिन फिर आया!
जन्म-दिवस पर मिला : मुझे एक अनमोल उपहार!
मुझको सबसे अच्छा लगता : अपनी माँ का मुखड़ा!
बहुत सुंदर !!
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