सामाजिक कुरीतियाँ और नारी , उसके सम्बन्ध , उसकी मजबूरियां उसका शोषण , इससब विषयों पर कविता

Thursday, March 4, 2010

तुम्हारे अस्तित्व की जननी हूँ मै

पार्वती भी मै
दुर्गा भी मै
सीता भी मै
मंदोदरी भी मै
रुकमनी भी मै
मीरा भी मै
राधा भी मै
गंगा भी मै
सरस्वती भी मै

लक्ष्मी भी मै
माँ भी मै
पत्नी भी मै
बहिन भी मै
बेटी भी मै
घर मे भी मै
मंदिर मे भी मै
बाजार मे भी मै

"तीन तत्वों " मे भी मै
पुजती भी मै
बिकती भी मै
अब और क्या
परिचय दू
अपने अस्तित्व का
क्या करुगी तुम से
करके बराबरी मै
जब तुम्हारे
अस्तित्व की
जननी हूँ मै
तुम जब मेरे बराबर
हो जाना तब ही
मुझ तक आना




पार्वती माता का प्रतीक
दुर्गा शक्ति का प्रतीक
सीता , मंदोदरी, रुकमनी भार्या का प्रतीक
मीरा , राधा प्रेम का प्रतीक
गंगा , पवित्रता का प्रतीक
सरस्वती , ज्ञान का प्रतीक
लक्ष्मी , धन का प्रतीक
बाजार , वासना का प्रतीक
तीन तत्व , अग्नि , धरती , वायु

7 comments:

संगीता पुरी said...

क्या करुगी तुम से
करके बराबरी मै
जब तुम्हारे
अस्तित्व की
जननी हूँ मै
तुम जब मेरे बराबर
हो जाना तब ही
मुझ तक आना

क्‍या खूब लिखा .. बिल्‍कुल सटीक !!

रेखा श्रीवास्तव said...

जब तुम्हारे
अस्तित्व की
जननी हूँ मै

इन शब्दों के साथ तुलना की बात ख़त्म हो जाती है. फिर भी इस पर प्रश्न और प्रतिप्रश्न खड़े होते हैं क्योंकि स्वयंभू अपने को कम मान ही नहीं सके हैं.

Arvind Mishra said...

कैकेयी ,सूर्पनखा ,कुब्जा आदि को क्यूं छोड़ दिया -आखिर वे भी तो इतिहास निर्मात्री रही हैं!

किरण राजपुरोहित नितिला said...

तुम जब मेरे बराबर
हो जाना तब ही
मुझ तक आना

kya khuub kaha !!!!!!!!!!

शरद कोकास said...

पूजा करने वाला भी वही
प्रताड़ित करने वाला भी वही
जो बराबर क्या
खुद को ऊँचा समझता हो
वह भूलकर भी करीब आयेगा कहीं ?

Amitraghat said...

"अच्छा लिखा आपने...."
amitraghat.blogspot.com

vandana gupta said...

जब तुम्हारे
अस्तित्व की
जननी हूँ मै
तुम जब मेरे बराबर
हो जाना तब ही
मुझ तक आना

sara saar sama gaya inhi panktiyon mein............gazab ki prastuti .