हम बहुत तरक्की कर रहें हें
पहले बेटियों को मारते थे
बहुओ को जलाते थे
अब तो हम
कन्या भ्रूण हत्या करते है
दूर नहीं है वो समय
जब हम फक्र से कहेगे
पुत्र पैदा करने के लिये
हम किराये पर लेते हें
विदेशी कोख
कुछ पुराने कमेंट्स यहाँ देखे और अपनी बात भी वही कहे
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सामाजिक कुरीतियाँ और नारी , उसके सम्बन्ध , उसकी मजबूरियां उसका शोषण , इससब विषयों पर कविता