पार्वती भी मै
दुर्गा भी मै
सीता भी मै
मंदोदरी भी मै
रुकमनी भी मै
मीरा भी मै
राधा भी मै
गंगा भी मै
सरस्वती भी मै
लक्ष्मी भी मै
माँ भी मै
पत्नी भी मै
बहिन भी मै
बेटी भी मै
घर मे भी मै
मंदिर मे भी मै
बाजार मे भी मै
"तीन तत्वों " मे भी मै
पुजती भी मै
बिकती भी मै
अब और क्या
परिचय दू
अपने अस्तित्व का
क्या करुगी तुम से
करके बराबरी मै
जब तुम्हारे
अस्तित्व की
जननी हूँ मै
तुम जब मेरे बराबर
हो जाना तब ही
मुझ तक आना
पार्वती माता का प्रतीक
दुर्गा शक्ति का प्रतीक
सीता , मंदोदरी, रुकमनी भार्या का प्रतीक
मीरा , राधा प्रेम का प्रतीक
गंगा , पवित्रता का प्रतीक
सरस्वती , ज्ञान का प्रतीक
लक्ष्मी , धन का प्रतीक
बाजार , वासना का प्रतीक
तीन तत्व , अग्नि , धरती , वायु
सामाजिक कुरीतियाँ और नारी , उसके सम्बन्ध , उसकी मजबूरियां उसका शोषण , इससब विषयों पर कविता
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7 comments:
क्या करुगी तुम से
करके बराबरी मै
जब तुम्हारे
अस्तित्व की
जननी हूँ मै
तुम जब मेरे बराबर
हो जाना तब ही
मुझ तक आना
क्या खूब लिखा .. बिल्कुल सटीक !!
जब तुम्हारे
अस्तित्व की
जननी हूँ मै
इन शब्दों के साथ तुलना की बात ख़त्म हो जाती है. फिर भी इस पर प्रश्न और प्रतिप्रश्न खड़े होते हैं क्योंकि स्वयंभू अपने को कम मान ही नहीं सके हैं.
कैकेयी ,सूर्पनखा ,कुब्जा आदि को क्यूं छोड़ दिया -आखिर वे भी तो इतिहास निर्मात्री रही हैं!
तुम जब मेरे बराबर
हो जाना तब ही
मुझ तक आना
kya khuub kaha !!!!!!!!!!
पूजा करने वाला भी वही
प्रताड़ित करने वाला भी वही
जो बराबर क्या
खुद को ऊँचा समझता हो
वह भूलकर भी करीब आयेगा कहीं ?
"अच्छा लिखा आपने...."
amitraghat.blogspot.com
जब तुम्हारे
अस्तित्व की
जननी हूँ मै
तुम जब मेरे बराबर
हो जाना तब ही
मुझ तक आना
sara saar sama gaya inhi panktiyon mein............gazab ki prastuti .
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