सामाजिक कुरीतियाँ और नारी , उसके सम्बन्ध , उसकी मजबूरियां उसका शोषण , इससब विषयों पर कविता

Monday, February 9, 2009

लडकियां

आँगन की चाहत लडकियां
खयालो की हसरत लडकियां

शिक्षा की जोडो चुनर
शिखर की शोहोरत लडकियां

ख्वाबों को फलक दिखाती
आज की हकीक़त लडकियां

देहलीज़ पे उतरी चाँद सी
नही है तोहमत लडकियां



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5 comments:

Anonymous said...

very nice poem mehak i wish more people understand this fact

रवीन्द्र प्रभात said...

अत्यन्त सुंदर ग़ज़ल , सचमुच लड़कियां हमारे सम्मान के सूचक हैं .../

निर्मला कपिला said...

bahut sunder gazal hai bdhai

डॉ .अनुराग said...

keep it up mahek.

Himanshu Pandey said...

अच्छा लग रहा है इस कविता को पढ़कर.
आसान-सी कविता पर गहरी बात. धन्यवाद.