सामाजिक कुरीतियाँ और नारी , उसके सम्बन्ध , उसकी मजबूरियां उसका शोषण , इससब विषयों पर कविता

Tuesday, February 17, 2009

अब तुलना चाहती हैं नारी

शारीरिक परिभाषाओ से उठ कर
क्षमताओं की परिभाषा मे
अब तुलना चाहती हैं नारी ।




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1 comment:

निर्मला कपिला said...

tulna jaroor kare lekin sakaaratmak tulna ho naki jo buraaiaan purush me hain unki barabaree kare