शारीरिक परिभाषाओ से उठ कर
क्षमताओं की परिभाषा मे
अब तुलना चाहती हैं नारी ।
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सामाजिक कुरीतियाँ और नारी , उसके सम्बन्ध , उसकी मजबूरियां उसका शोषण , इससब विषयों पर कविता
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" नारी जिसने घुटन से अपनी आज़ादी ख़ुद अर्जित की और लिखा अपने मन मे बसी स्वतंत्रता को "
1 comment:
tulna jaroor kare lekin sakaaratmak tulna ho naki jo buraaiaan purush me hain unki barabaree kare
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