अपने से कमज़ोर
मत समझो दूसरे को
वह कोई गाजर - मूली नहीं
खोद कर निकल लोगे जड़ समेत
फिर
काट कर टुकडे टुकडे कर डालोगे उसके
वह भी है नागफनी
जिस की जड़े मिटटी मे धसीं हैं
उखाड़ने से पहले
काटने से पहले
सोच लो एक बार
तुम्हारा भी हाथ
लहू लुहान हो सकता हैं
© 2008-09 सर्वाधिकार सुरक्षित!
मत समझो दूसरे को
वह कोई गाजर - मूली नहीं
खोद कर निकल लोगे जड़ समेत
फिर
काट कर टुकडे टुकडे कर डालोगे उसके
वह भी है नागफनी
जिस की जड़े मिटटी मे धसीं हैं
उखाड़ने से पहले
काटने से पहले
सोच लो एक बार
तुम्हारा भी हाथ
लहू लुहान हो सकता हैं
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4 comments:
बहुत ही सुदर अभिव्यक्ति . धन्यवाद .
एक बेहतरीन और शानदार कविता। शुभकामनाएं।
बहुत प्रभावशाली सन्देश देती कविता...
अच्छी कविता है. एक बहुत ही व्यवहारिक संदेश देती है. कभी किसी को अपने से कमजोर समझ कर उस पर अन्याय नहीं करना चाहिए.
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