वर्षा की ये पोस्ट नारी ब्लॉग से हटा कर नारी कविता ब्लॉग पर डाल रही हूँ
हमें नारी हमें हक़ के साथ की आर्ष की पर भी बात करनी चाहिए। उनके दिमाग़ में कमज़ोरियों के बीज बोने वाले ताने-बाने पर भी। कमज़ोरियां कम होंगी तो हम ताकतवर होंगी। एक अंग्रेजी कविता जिसका अनुवाद उज्ज्वला म्हात्रे ने किया है, अभी मेरी नज़र उसी कविता पर पड़ी, जिन लोगों ने न पढ़ी हो उनके लिए.....
ये न कहो संघर्ष नाकाम है
कि वो श्रम और वे ज़ख़्म बेकार गए
कि शत्रु थकता नहीं न हारता है
और स्थितियां जैसी थी वैसी ही रहती हैं
-
अगर उम्मीदों ने छला है तुम्हें
आशंकाएं भी तो बेबुनियाद हो सकती हैं
उस धुएं के पार देखो, लड़ाई अब भी जारी है
डटे हैं मैदान-ए-जंग में, कमी बस तुम्हारी है
-
माना कि किनारे पर टूटती, थकी लहरों को देख
लगता है इनका प्रयास कितना विफल है
पर दूर, खाड़ियों और नए रास्तों को चुनकर
दृढ़ लहरें चुपचाप घुस आई हैं
और सिर्फ पूरब की खिड़कियों से ही नहीं आता प्रकाश
जब दिन उगता है
सामने सूरज धीरे, कितने धीरे चढ़ता है
पर पश्चिम की ओर देखो
उसके प्रकाश से धरा प्रदीप्त है
ये न कहो संघर्ष नाकाम है
कि वो श्रम और वे ज़ख़्म बेकार गए
कि शत्रु थकता नहीं न हारता है
और स्थितियां जैसी थी वैसी ही रहती हैं
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अगर उम्मीदों ने छला है तुम्हें
आशंकाएं भी तो बेबुनियाद हो सकती हैं
उस धुएं के पार देखो, लड़ाई अब भी जारी है
डटे हैं मैदान-ए-जंग में, कमी बस तुम्हारी है
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माना कि किनारे पर टूटती, थकी लहरों को देख
लगता है इनका प्रयास कितना विफल है
पर दूर, खाड़ियों और नए रास्तों को चुनकर
दृढ़ लहरें चुपचाप घुस आई हैं
और सिर्फ पूरब की खिड़कियों से ही नहीं आता प्रकाश
जब दिन उगता है
सामने सूरज धीरे, कितने धीरे चढ़ता है
पर पश्चिम की ओर देखो
उसके प्रकाश से धरा प्रदीप्त है
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3 comments:
और सिर्फ पूरब की खिड़कियों से ही नहीं आता प्रकाश
जब दिन उगता है
सामने सूरज धीरे, कितने धीरे चढ़ता है
पर पश्चिम की ओर देखो
उसके प्रकाश से धरा प्रदीप्त है
बहुत ख़ूब...
Suresh Chandra Gupta has left a new comment on your post "ये न कहो कि संघर्ष नाकाम है...":
@ये न कहो संघर्ष नाकाम है.
कोई संघर्ष नाकाम नहीं होता. कुछ न कुछ परिकार्तन तो होता ही हर संघर्ष से.
@हमें नारी के हक़ के साथ नारी की कमज़ोरियों पर भी बात करनी चाहिए। उनके दिमाग़ में कमज़ोरियों के बीज बोने वाले ताने-बाने पर भी। कमज़ोरियां कम होंगी तो हम ताकतवर होंगी।
यह भी सही बात है. प्रबंध विज्ञान के अनुसार सुधार करने के लिए यह जरूरी है कि हमें अपनी ताकत मालूम हो, कमजोरियां मालूम हों, हमारे सामने जो चुनौतियाँ है उन के बारे में मालूम हो, और सुधार करने के जो अवसर है उनके बारे में पूरी जानकारी हो. अंग्रेजी में इसे SWOT Analysis कहा जाता है. इन चारों का ही ध्यान रखना जरूरी है. किसी एक को भी नकार देने से सुधार होने की सम्भावना कम हो जाती है.
neeshoo has left a new comment on your post "ये न कहो कि संघर्ष नाकाम है...":
वर्षा जी बहुत ही सुन्दर रचना लिखी है । आपने पढ़ कर मन प्रफुल्लित हो गया। उम्मीद से कहीं अधिक प्रशंसनीय ।
बधाई
the above 2 comments were there before i deleted this post from naari blog
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बहुत सुंदर रचना है। वर्षा जी, धन्यवाद इसे प्रस्तुत करने के लिए।
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