सामाजिक कुरीतियाँ और नारी , उसके सम्बन्ध , उसकी मजबूरियां उसका शोषण , इससब विषयों पर कविता

Monday, September 15, 2008

धर्म की परिभाषा

कभी कभी मन कहता हैं
की आओ सब मिल कर
एक साथ
विसर्जित कर दे
हर धर्म ग्रन्थ को
हर मूर्ति को
हर गीता , बाइबल
कुरान और गुरुग्रथ साहिब को
एक ऐसे विशाल सागर मे
जहाँ से फिर कोई
मानवता इनको बाहर
ना ला सके
किस धर्म मे लिखा हैं
की धमाके करो
मरो और मारो
और अगर लिखा हैं
तो चलो करो विसर्जित
अपने उस धर्म को
अपनी आस्था को अपने
मन मे रखो और
जीओ और जीने दो
मानवता अब शर्मसार हो रही हैं
तुम्हारी धर्म की परिभाषा से
© 2008-09 सर्वाधिकार सुरक्षित!

8 comments:

Unknown said...

आपके मन की व्यथा आज हर मन की व्यथा है. पर कोई धर्म ग़लत नहीं होता. किसी धर्म मे यह नहीं किखा हैं कि धमाके करो और मारो. जो ऐसा करते हैं वह शैतान के बन्दे हैं, अल्ल्लाह के नाम पर यह खून-खराबा करके अल्लाह और धर्म को बदनाम करते हैं. इन्हें बेनकाब किया जाना चाहिए.

Dr. Amar Jyoti said...

'मज़हब कोई लौटा ले,और उसकी जगह दे दे,
तहज़ीब सलीके की, इँसान करीने के।'

neelima garg said...

humanity is the only religion and we should believe in that...

रंजू भाटिया said...

सही लिखा है आपने रचना ..जो सब हुआ वह दुखद था और न जाने कब तक यूँ ही चलेगा ..

मीनाक्षी said...

धर्म की परिभाषा पढ़कर महसूस हुआ कि इंसानियत भी सर्द होती जा रही है...कब तक ऐसा चलेगा...सवाल उलझा हुआ है..

shelley said...

तो चलो करो विसर्जित
अपने उस धर्म को
अपनी आस्था को अपने
मन मे रखो और
जीओ और जीने दो
मानवता अब शर्मसार हो रही हैं
तुम्हारी धर्म की परिभाषा से
baat bilkul sahi ha, aaj dharm se sabka nukasan hi ho raha hai kyoki use mad hi diya gaya hai galat jagah me

वर्षा said...

सही है।

Yatish Jain said...

मज़हब क्या है सिखाता ये सबको पता है पर मज़हब के थेकेदार जो सिखाते है उसका नतीजा है ये बोम्ब ब्लास्ट. आज कोई किताब लिखता है या कोई विचार व्यक्त कर्ता है तो उस पर प्रतिबन्ध लग जाता है, देश निकाला हो जाता है लेकिन बोम्ब ब्लस्ट पर क्या होता है सब जानते है क़तरा-क़तरा