ये रचना मेरी प्रथम काव्य संग्रह "स्वप्न मरते नहीं " से ली है
नारी निभा रही है हर जिम्मेवारी,
कैद ना करे इन्हें घर की चहारदीवारी,
कंधे से कंधा मिलाकर,
कम की है इसने,
पुरुषों की जिम्मेवारी,
जीवनसाथी बनकर,
पूरी करती अपनी हिस्सेदारी,
कभी रूप सलोना प्यारा लगे,
रहे शांत समुंद्र सी न्यारी,
अगर जरुरत पड़ जाये ,
ये बन जाये चिंगारी,
कभी दूध का क़र्ज़ निभाने को,
कभी माँ,बहू, बहन का फ़र्ज़ निभाने को,
पल पल पीसी जाती रही नारी,
हर कदम इम्तिहान से गुजरी ,
फिर भी उफ़ ना मुख से निकली,
ये तो महानता है इसकी,
जो दिखती नहीं इसकी बेकरारी,
आधा रूप बदला इसने जो,
समाज का अक्स सुधारी,
तुलना करोगे किससे ?
हर कुछ छोटा पड़ जायेगा.
ममता की गहराई मापने में ,
सागर भी बौना खुद को पायेगा.
ये अनमोल तोहफा है,
जो कुदरत ने दी है प्यारी,
हर मोड पर फिर क्यों ?
बुरी नज़रों का करना पड़ता है ,
सामना इसे करारी.
ये क्यों भूल जाते हो ?
तुम्हें संसार में लानेवाली भी,
है एक नारी.
चुटकी भर सिंदूर को ,
मांग में सजाती है,
उसका मोल चुकाने को,
कभी कभी ,
जिन्दा भी जल जाती है नारी.
हर जीवन पर करती अहसान,
फिर भी ना पा सकी सम्मान.
नारी निभा रही है हर जिम्मेवारी,
कैद ना करे इन्हें घर की चहारदीवारी.
"रजनी मल्होत्रा नैय्यर "
5 comments:
आज मंगलवार 8 मार्च 2011 के
महत्वपूर्ण दिन "अन्त रार्ष्ट्रीय महिला दिवस" के मोके पर देश व दुनिया की समस्त महिला ब्लोगर्स को "सुगना फाऊंडेशन जोधपुर "और "आज का आगरा" की ओर हार्दिक शुभकामनाएँ.. आपका आपना
अन्तरार्ष्ट्रीय महिला दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ|
जय हिंद जय हिंद जय हिंद
सच कहा नारी के कितने ही रूप हैं………सुन्दर प्रस्तुति।
महिला दिवस की हार्दिक बधाई॥
रजनी जी , एक बहुत बड़ा सत्य बता रही हूँ , .. नारी के इतने सशक्त रूप के बावजूद आज जबकि महिला दिवस को गुजरे २४ घंटे भी नहीं हुए थे , सुबह के अखबार में पढ़ा,2007 से लेकर 2009 तक 24 हज़ार महिलायें दहेज़ की भेंट चडी हैं हमारे देश में ....
फिर भी दिल के खुश रखने को ग़ालिब ये ख्याल अच्छा है ... HAPPY WOMAN'S DAY
BAHUT SUNDAR ,HARDIK BADHAI .........
Post a Comment