महिला दिवस पर समस्त नारी जाति को हार्दिक शुभकामनायें .............
ये रचना मेरी प्रथम काव्य संग्रह "स्वप्न मरते नहीं " से ली है
नारी निभा रही है हर जिम्मेवारी,
कैद ना करे इन्हें घर की चहारदीवारी,
कंधे से कंधा मिलाकर,
कम की है इसने,
पुरुषों की जिम्मेवारी,
जीवनसाथी बनकर,
पूरी करती अपनी हिस्सेदारी,
कभी रूप सलोना प्यारा लगे,
रहे शांत समुंद्र सी न्यारी,
अगर जरुरत पड़ जाये ,
ये बन जाये चिंगारी,
कभी दूध का क़र्ज़ निभाने को,
कभी माँ,बहू, बहन का फ़र्ज़ निभाने को,
पल पल पीसी जाती रही नारी,
हर कदम इम्तिहान से गुजरी ,
फिर भी उफ़ ना मुख से निकली,
ये तो महानता है इसकी,
जो दिखती नहीं इसकी बेकरारी,
आधा रूप बदला इसने जो,
समाज का अक्स सुधारी,
तुलना करोगे किससे ?
हर कुछ छोटा पड़ जायेगा.
ममता की गहराई मापने में ,
सागर भी बौना खुद को पायेगा.
ये अनमोल तोहफा है,
जो कुदरत ने दी है प्यारी,
हर मोड पर फिर क्यों ?
बुरी नज़रों का करना पड़ता है ,
सामना इसे करारी.
ये क्यों भूल जाते हो ?
तुम्हें संसार में लानेवाली भी,
है एक नारी.
चुटकी भर सिंदूर को ,
मांग में सजाती है,
उसका मोल चुकाने को,
कभी कभी ,
जिन्दा भी जल जाती है नारी.
हर जीवन पर करती अहसान,
फिर भी ना पा सकी सम्मान.
नारी निभा रही है हर जिम्मेवारी,
कैद ना करे इन्हें घर की चहारदीवारी.
"रजनी मल्होत्रा नैय्यर "