रुकी रुकी सी बारिशों के बोझ से दबी दबी
झुके झुके से बादलों से -
धरती की प्यास बुझी
घटाओं ने झूमकर , मुझसे कुछ कहा तो है
बूंदे मुझे छू गई -
तेरा ख्याल आ गया
मेघों ने बरसकर ,
तुझसे कुछ कहा है क्या -
बूंदों की रिमझिम में ,भीगा सावन आ गया
Happy Teej to all!!!
सामाजिक कुरीतियाँ और नारी , उसके सम्बन्ध , उसकी मजबूरियां उसका शोषण , इससब विषयों पर कविता
Thursday, August 12, 2010
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3 comments:
तीज की आपको भी बधाई ..सुन्दर प्रस्तुति
aap sabhi ko teej shubh ho
बहुत सुन्दर ...
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