देव हो या दानव
वासना का समुद्र
जब - जब उफनता हैं
सयम का कगार टूट जाता हैं ।
सुंदर प्रकाशवान मछली
सम्मोहन के जाल मै
स्वयं फँस जाती हैं ।
तामसी - वृत्तियाँ
प्यार के अनछुये आकाश पर
काले बादल बन छा जाती हैं ।
चारो और फैले
तामसी कोहरे के भीतर
बलात्कार होता हैं
चीखे उभरती हैं
पर
सत्यवती को बचाने वाला
कोई नहीं आता ।
चीखे मौन हो जाती हैं
वासना तृप्त
चलता रहता हैं
संसार का प्रेम - व्यापार
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