सामाजिक कुरीतियाँ और नारी , उसके सम्बन्ध , उसकी मजबूरियां उसका शोषण , इससब विषयों पर कविता

Saturday, January 24, 2009

तुम्हारे अस्तित्व की जननी हूँ मै

बालिका दिवस पर कविता
पार्वती भी मै
दुर्गा भी मै
सीता भी मै
मंदोदरी भी मै
रुकमनी भी मै
मीरा भी मै
राधा भी मै
गंगा भी मै
सरस्वती भी मै
लक्ष्मी भी मै
माँ भी मै
पत्नी भी मै
बहिन भी मै
बेटी भी मै
घर मे भी मै
मंदिर मे भी मै
बाजार मे भी मै
"तीन तत्वों " मे भी मै
पुजती भी मै
बिकती भी मै
अब और क्या
परिचय दू
अपने अस्तित्व का
क्या करुगी तुम से
करके बराबरी मै
जब तुम्हारे
अस्तित्व की
जननी हूँ मै

तुम जब मेरे बराबर
हो जाना तब ही
मुझ तक आना




पार्वती माता का प्रतीक
दुर्गा शक्ति का प्रतीक
सीता , मंदोदरी, रुकमनी भार्या का प्रतीक
मीरा , राधा प्रेम का प्रतीक
गंगा , पवित्रता का प्रतीक
सरस्वती , ज्ञान का प्रतीक
लक्ष्मी , धन का प्रतीक
बाजार , वासना का प्रतीक
तीन तत्व , अग्नि , धरती , वायु

© 2008-09 सर्वाधिकार सुरक्षित!

4 comments:

संगीता पुरी said...

बहुत सुंदर लिखा है.....बधाई .....राष्ट्रीय बालिका दिवस के उपलक्ष्‍य में सभी बालिकाओं को उनके बेहतर भविष्‍य के लिए बहुत बहुत शुभकामनाएं।

Dr. Amar Jyoti said...

कितना अकेलापन लगता होगा उस उत्तंग शिखर पर!
एक साधारण मानव भला कैसे पहुंचेगा उस दिव्यलोक तक? हां!कोई उसी जैसी साधारण मानवी दोस्ती का हाथ बढ़ाती तो और बात थी।

द्विजेन्द्र ‘द्विज’ said...

सार्थक अभिव्यक्ति


धन्यवाद





द्विजेन्द्र द्विज

Anonymous said...

sach bahut sahi aur sundar likha hai,aasha hai es saal balikaon ke vikaas mein aur char chand lag jaye.