सामाजिक कुरीतियाँ और नारी , उसके सम्बन्ध , उसकी मजबूरियां उसका शोषण , इससब विषयों पर कविता

Tuesday, December 9, 2008

ममता का सन्मान

दिल दहलानेवाला खौफनाक मंज़र
चारों और से गोलियों की बौछार
और बम के धमाको की दहाड़े
इतनी आवाज़ों में भी उसे सुनाई दी
बस नन्हे मोशे की करुन पुकार
जो उसे बुला रहा था

अपने माता पिता के खून से भरा
उस नन्हें मन को पता न था क्या हुआ ?
अपनी जान की परवाह किए बिना
स्टोर रूम से दौड़ी नॅनी सॅम्यूल
गोलिओंसे बचती छुपती
गोद में उठा लिया मोशे
और भागी जान बचा कर
उस वक़्त मौत के ख़ौफ़ से ज़्यादा
ममता का पलड़ा भारी रहा
ऐसी वीरांगना पर गर्व होता है

नन्हे मोशे की नॅनी सॅम्यूल को इस्राईल के सवोच नागरी
पुरस्कार से सम्मानित किया गया
ऐसी निस्वार्थ ममता को ढेरो बधाई नन्हे मोशे के साथ सभी
की दुआए रहेंगी अपने जान की परवाह किए बिना,अपने खुद के
दो बच्चों की सोचे बिना , और इतनी दहशत में खास कर अपना
आपा ना खोकर सूझ बुझ से काम लेना आसान तो नही होता

4 comments:

मोहन वशिष्‍ठ said...

अत्‍यंत मार्मिक एवं खौफ के बीच से निकली बहादुर

Anonymous said...

aaj bhi aesae log haen jo apnae kartavy ko itni sanjeedgi sae laetey haen नॅनी सॅम्यूल ko daekh kar sar apne aap shradha sae jhok jaata haen

thanks mehak is ko yahaa [ost karne kae liyae

पुरुषोत्तम कुमार said...

वाकई, इस तरह का जज्बा कम ही देखने को मिलता है।

Anita kumar said...

Nanny Samuel ko humara salaam