डॉ मीना अग्रवाल जी की ये पोस्ट नारी ब्लॉग से मै यहाँ दे रही हूँ
उन शहीदों को शत-मीना नमन जिन्होंने अपना जीवन देश की खातिर न्योछावर कर दिया. उनके इस ऋण को हम कभी नहीं चुका पाएँगे. वो माता-पिता भी धन्य हैं जिन्होंने ऐसे भारत-रत्न को जन्म दिया. माँ के दर्द को तो एक माँ ही समझ सकती है,राजनीति करने वाले उसकी पीड़ा को क्या समझेंगे.माँ तो अब भी इंतज़ार कर रही है अपने लाडले का . और कह रही है-
छ्त के ऊपर विमान गुज़रा है
कल्पनाएँ निहारती हैं तुझे
अजनबी लोग इसमें हैं लेकिन
मेरी आँखें पुकारतीं हैं तुझे !
माम को तो विश्वास ही नहीं है कि उसका बेटा अब उसके आँसू पोंछने के लिए भी नहीं आएगा. उसका मन तो बार-बार यही कहता है-
तपन बढ़ी है तो तन-मन जला है अब के बरस
शरद की रुत में भी सूरज तपा है अब के बरस
चला गया है जो अश्कों को पोंछने वाला
हमारी आँखों में सूखा पड़ा है अब के बरस !
माँ अपनी अंतिम साँस तक बेटे के लिए शुभकामनाएँ ही भेजती रहती है-
वह अपनी आँखों में उमड़ी घटाएँ भेजती है
वह अपने प्यार की ठंडी हवाएँ भेजती है
कभी तो ध्यान के हाथों, कभी पवन के साथ
वह माँ है, बेटे को शुभकामनाएँ भेजती है !
ऐसी माँ को हृदय की संम्पूर्ण भावनाओं के साथ शत-शत नमन .
मीना अग्रवाल
© 2008-09 सर्वाधिकार सुरक्षित!
सामाजिक कुरीतियाँ और नारी , उसके सम्बन्ध , उसकी मजबूरियां उसका शोषण , इससब विषयों पर कविता
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6 comments:
उस माँ के लाल को और उसे पैदा करने वाली उन माँ को हमारा कोटि-कोटि प्रणाम।
उन शहीदों को मेरा भी शत-शत नमन जिन्होंने अपना जीवन देश की खातिर न्योछावर कर दिया.
बिलकुल सही हम सब का उस महान मां को प्राणम जिस ने इस देश को ऎसा सपुत दिया, ओर उस लाल को जिसने अपना जीवन दे कर हम सब को नया जीवन दिया, उन शहीदो को हमारी सब की तरफ़ से भी प्राणाम, हम इन का कर्ज कभी नही चुका सकते.
आपका धन्यवाद
भाव-गर्भित भावनात्मक कविता . माँ को कोटिशः नमन .
उन शहीदों को मेरा भी शत-शत नमन ..
shahidon ko naman aur us maa ko salam
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