रौंदोगे कब तक
नारी का तुम सम्मान ?
कब तक समझोगे
तुम उसको एक सामान।
रखोगे तुम कब तक
उससे एक ही नाता?
कब समझोगे उसे
बहन बेटी या माता।
क्यों भूल जाते हो
जननी है वह तुम्हारी
और सहचरी ,
जीवन में भरती उजियारी।
नारी है शक्ति
न समझो उसे क्षीण तुम।
दुर्गा है, मानो मत
उसको दींन-हीन तुम।
उसे कुचलने का
कभी जब सोचोगे,
अपने हाथों अपनी
जड़ तुम नोचोगे।
हाँ!अपने हाथों अपनी
जड़ तुम नोचोगे।
© 2008-13 सर्वाधिकार सुरक्षित!
नारी का तुम सम्मान ?
कब तक समझोगे
तुम उसको एक सामान।
रखोगे तुम कब तक
उससे एक ही नाता?
कब समझोगे उसे
बहन बेटी या माता।
क्यों भूल जाते हो
जननी है वह तुम्हारी
और सहचरी ,
जीवन में भरती उजियारी।
नारी है शक्ति
न समझो उसे क्षीण तुम।
दुर्गा है, मानो मत
उसको दींन-हीन तुम।
उसे कुचलने का
कभी जब सोचोगे,
अपने हाथों अपनी
जड़ तुम नोचोगे।
हाँ!अपने हाथों अपनी
जड़ तुम नोचोगे।
© 2008-13 सर्वाधिकार सुरक्षित!
19 comments:
झुकाते हो सर कई देवियों के सामने
पर रौंदते हो इनकी झाया को
कर दुस्कर्म करते हो सर नीचा आखिर
कब करोगे तुम अपनी जननी का सम्मान ...
पधारें "चाँद से करती हूँ बातें "
बहुत खूब ,बधाई
गुज़ारिश : ''..इन्कलाब जिन्दाबाद ..''
बहुत ही बेहतरीन भावपूर्ण प्रस्तुति,होली की शुभकामनायें.
बहुत ही प्रभावी .. इस आक्रोश की वजह सच्ची है ..
पुरूष के लिए चेतित करती कविता अब अन्याय नहीं सहेंगे ओर सम्मान पर घांव भी नहीं सहेंगे।
drvtshinde.biogspot.com
waaaaaaaaaah, nari sb se jyada sanman ki haqdar hai
बहुत सुन्दर रचना.
bhavpoorn abhivyakti.....
just visit....
''anandkriti''
बहुत सुन्दर रचना.
उफ्फ्....
सार्थक अवलोकन
वाकई स्त्री जो सहती है,वह कह नहीं पाती
संवेदना की तह तक जाती रचना
उत्कृष्ट प्रस्तुति
आग्रह है मेरे ब्लॉग में भी सम्मलित हों
कहाँ खड़ा है आज का मजदूर------?
adbhut shabd shakti ........good
adbhut shabd shakti ........good
जड़ बुद्धि बहुत देर बाद में नहीं समझ सकते ...
बढ़िया प्रेरक प्रस्तुति
ati sunder rachna!!
देकर नारी को सम्मान
एक माँ का कर्ज तुम चुकाओ
आप सभी का बहुत बहुत धन्यवाद!
बहुत ही अच्छा ,
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