सामाजिक कुरीतियाँ और नारी , उसके सम्बन्ध , उसकी मजबूरियां उसका शोषण , इससब विषयों पर कविता

Saturday, March 23, 2013

नारी

रौंदोगे कब तक
 नारी का तुम  सम्मान ?
कब तक समझोगे
 तुम उसको एक सामान।

रखोगे तुम कब तक 
उससे एक ही नाता?
कब समझोगे उसे
 बहन बेटी या माता।

क्यों भूल जाते हो
जननी है वह तुम्हारी
और सहचरी ,
जीवन में भरती उजियारी।

नारी है शक्ति
 न समझो  उसे क्षीण तुम।
दुर्गा है, मानो मत 
उसको दींन-हीन तुम।

उसे कुचलने का 
कभी जब सोचोगे,
अपने हाथों अपनी 
जड़ तुम नोचोगे।

हाँ!अपने हाथों अपनी 

जड़ तुम नोचोगे।


© 2008-13 सर्वाधिकार सुरक्षित!

19 comments:

Pratibha Verma said...
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Pratibha Verma said...

झुकाते हो सर कई देवियों के सामने
पर रौंदते हो इनकी झाया को
कर दुस्कर्म करते हो सर नीचा आखिर
कब करोगे तुम अपनी जननी का सम्मान ...

पधारें "चाँद से करती हूँ बातें "

Guzarish said...

बहुत खूब ,बधाई
गुज़ारिश : ''..इन्कलाब जिन्दाबाद ..''

Rajendra kumar said...

बहुत ही बेहतरीन भावपूर्ण प्रस्तुति,होली की शुभकामनायें.

दिगम्बर नासवा said...

बहुत ही प्रभावी .. इस आक्रोश की वजह सच्ची है ..

साहित्य और समीक्षा डॉ. विजय शिंदे said...

पुरूष के लिए चेतित करती कविता अब अन्याय नहीं सहेंगे ओर सम्मान पर घांव भी नहीं सहेंगे।
drvtshinde.biogspot.com

ashokkhachar56@gmail.com said...

waaaaaaaaaah, nari sb se jyada sanman ki haqdar hai

शकुन्‍तला शर्मा said...

बहुत सुन्‍दर रचना.

Anand murthy said...

bhavpoorn abhivyakti.....
just visit....
''anandkriti''

VIJAY KUMAR VERMA said...

बहुत सुन्‍दर रचना.

वसुन्धरा पाण्डेय said...

उफ्फ्....

Jyoti khare said...

सार्थक अवलोकन
वाकई स्त्री जो सहती है,वह कह नहीं पाती
संवेदना की तह तक जाती रचना
उत्कृष्ट प्रस्तुति

आग्रह है मेरे ब्लॉग में भी सम्मलित हों
कहाँ खड़ा है आज का मजदूर------?

Anamikaghatak said...

adbhut shabd shakti ........good

Anamikaghatak said...

adbhut shabd shakti ........good

कविता रावत said...

जड़ बुद्धि बहुत देर बाद में नहीं समझ सकते ...
बढ़िया प्रेरक प्रस्तुति

Anonymous said...

ati sunder rachna!!

Manjusha negi said...

देकर नारी को सम्मान
एक माँ का कर्ज तुम चुकाओ

डॉ. पूनम गुप्त said...

आप सभी का बहुत बहुत धन्यवाद!

Unknown said...

बहुत ही अच्छा ,