नारी
जो कभी न हारी,
अस्तित्व बचाने हेतु
विपदा झेली भारी-भारी,
नारी
जो कभी न हारी.
लाज बचाने को अपनी
बनके काली वो ललकारी,
नारी
जो कभी न हारी
किसी ने कहा उसे अबला
तो किसी ने कह दिया बेचारी,
नारी
जो कभी न हारी
जीवन में नित देखे संघर्ष,
फिर भी लड़ना रखा जारी
नारी जो कभी न हारी.
9 comments:
अच्छी रचना, सारगर्भित।
uske sanghrson ko lekar
niyati kr rahi abhinandan hai.
nari badho nirantar aage
antash mn se hi bandan hai.
tum to shree is dharti ki
manavata ka shubh archan hai..
ang dikhaney ko uksana
purush warg ka hai ye sigufa.
issesey tumko bchna hoga
itna hi bs ek nivedan hai.
nari mn ko antash se pranam
बहुत सुन्दर और सटीक रचना।
बहुत सार्थक और समसामयिक रचना..बहुत सुन्दर
Sundar...jari rahe.
बहुत ही सुन्दर और सटीक रचना
कभी समय मिले तो http://shiva12877.blogspot.com ब्लॉग पर भी अपने एक नज़र डालें . धन्यवाद .
bahut badhiya...
नारी
जो कभी न हारी
जीवन में नित देखे संघर्ष,
फिर भी लड़ना रखा जारी
पर फिर भी ये दुनिया हराने पे मजबूर कर देती है
उत्तम
bahut sarahniya rachna hai ..........badhai
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