सामाजिक कुरीतियाँ और नारी , उसके सम्बन्ध , उसकी मजबूरियां उसका शोषण , इससब विषयों पर कविता

Sunday, February 14, 2010

पहला प्यार (वेलेंटाइन दिवस पर)

पहली बार
इन आँखों ने महसूस किया
हसरत भरी निगाहों को

ऐसा लगा
जैसे किसी ने देखा हो
इस नाजुक दिल को
प्यार भरी आँखों से

न जाने कितनी
कोमल और अनकही भावनायें
उमड़ने लगीं दिल में

एक अनछुये अहसास के
आगोश में समाते हुए
महसूस किया प्यार को

कितना अनमोल था
वह अहसास
मेरा पहला प्यार !!

आकांक्षा यादव © 2008-09 सर्वाधिकार सुरक्षित!

9 comments:

M VERMA said...

कितना अनमोल था
वह अहसास
मेरा पहला प्यार !!
बहुत नाजुकी से आपने वेलेंटाईन दिवस का तोहफा दिया

Arvind Mishra said...

सचमुच वह अहसास तो चिरन्तन है ......गहरे भावानुभूति की सरल सहज कविता

निर्मला कपिला said...

कितना अनमोल था
वह अहसास
मेरा पहला प्यार !!
वेलेण्टाईन डे पर सुन्दर अभिव्यक्ति । शुभकामनायें

Amit Kumar Yadav said...

खूबसूरत अभिव्यक्तियाँ..प्यार के इस अल्हड़ मौसम में हम सब यूँ ही प्रेम का गीत गुनगुनाते रहें.

Shahroz said...

प्रेम का सुन्दर जज्बा....कोमल भावनाएं...अद्भुत भाव. आकांक्षा जी आप विलक्षण कवयित्री हैं..बधाई.

vandana gupta said...

pahle pyar ka pahla ahsaas bahut hi anmol hota hai aur use bahut hi sundarta se sanwara hai........badhayi

Himanshu Pandey said...

पहले प्यार का खूबसूरत एहसास ।
सुन्दर कविता ।आभार ।

S R Bharti said...

भावनाओं का सुन्दर संगमन व प्यार का अद्भुत अहसास परिलक्षित होता है इस कविता में.

कविता रावत said...

Bahut sunda komal bhav
Bahut shubhkamnaynen