बाल-विवाह , सती-प्रथा ,
अग्नि-परीक्षा........................
जाने कितने अंगारों से गुजरी
ये मासूम काया !
यातनाओं के शिविर में,
विरोध की शिक्षा ने ,
उसे संतुलन दिया ,
शरीर पर पड़े निशानों ने
'स्व' आकलन का नजरिया दिया !
हर देहरी पर ,
'बचाव' की गुहार लगाती,
अपशब्दों का शिकार होती,
लान्छ्नाओं से धधकती नारी ने
अपना वजूद बनाया.........
माँ सरस्वती से शिक्षा,
दुर्गा से नवशक्ति ली ,
लक्ष्मी का आह्वान किया-
प्रकाशपुंज बनकर ख़ुद को स्थापित किया !
समाज का दुर्भाग्य -
उसकी शक्ति,उसकी क्षमताओं से परे
ह्त्या पर उतर आया !
आज फिर ,
कुरुक्षेत्र का मैदान है ,
और कृष्ण नारी सेना के सारथी............
यकीनन,
जीत निश्चित है !
सामाजिक कुरीतियाँ और नारी , उसके सम्बन्ध , उसकी मजबूरियां उसका शोषण , इससब विषयों पर कविता
Saturday, August 1, 2009
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12 comments:
कहते है न् - की सोना भी तप कर ही कुंदन बनता है... और जहा - माँ का साथ हो, कृष्ण सा सारथि हो वहा जीत निश्चित ही है ..!
"कुरुक्षेत्र का मैदान है ,
और कृष्ण नारी सेना के सारथी............"
--रश्मि जी, नारी-सेना के सारथी कृष्ण क्यों ??? महिला-विशेष प्रतीकों की कमी तो है नहीं !!!!
रश्मि जी
जीत निश्चित है रचना के लिए बधाई, बहुत अच्छा वर्णन है.
- विजय
यकीनन,
जीत निश्चित है !
vo to hai hee......
jab nari apne utthan ke liye khud hi pahal karegi to jeet nishchit hi hai.
bahut sundar....bass yahi jazba kaayam rahe ..ki jeet nishchit hai....sundar rachna ke liye badhai
sahi jab mann mein jeet ka vishwas ho aur jitne ka jazba dil mein,kabhi haar ahi hoti.sundr kavita,badhai.
कृष्ण सारथि....क्योंकि कृष्ण हैं सत्य
और रही नारी प्रतीक,तो माँ एक प्रतीक है,हरी सत्य और सामने है जीत
विजयी भव..!!
@@गर्भपात @@
आज मेने मार दिया
किसी की माँ ,किसी की बहन को
किसी की सास ,किसी की नन्द को
केसे हो सकता हु में, इतना पाषाण
केसे बन सकता हु में ,इतना निष्ठुर
केसे देख सकती हे ,इतनी निर्ममता
मेरी आँखे ………….!
केसे लगा सकता हु में अंकुश
अपने ही अंश पर
उसके आने से पहले ही मेने
उसकी सांसे रोक दी
आज मेने हेवानियत की
सारी हदे तोड़ दी
केसे भूल सकता हु में
जिसने मुझे जन्म दिया
वो भी, एक औरत ही थी
मेने लज्जीत किया हे
एक माँ की कोख को ,
काश में मार जाता पैदा होते ही ,
ताकि भुझ न पाता ,कोई “चिराग ”
सिर्फ इसलिए ,के वो लड़की थी ………………!
महेश नागर “चिराग”
Mob.92001-14377
Aasha hee jeevan hai.
-Zakir Ali ‘Rajnish’
{ Secretary-TSALIIM & SBAI }
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