मैं हूँ पायल,
मैं हूँ गीत,
रिमझिम-रिमझिम बारिश हूँ..
।मैं हूँ खनकती पुरवाई,
मैं ही बसंत की खुशबू हूँ...
मैं हूँ आँगन,
मैं हूँ पवन,
मैं ही बाबुल की दुनिया हूँ....
मैं हूँ ममता का दूजा रूप,
भाई की कलाई की डोरी हूँ,
मैं हूँ शक्ति,
मैं विद्या हूँ,
मैं ही लक्ष्मी का रूप हूँ....
बुलबुल हूँ,
गौरैया हूँ,
कोयल की गूंजती कूक हूँ....
धरती में हूँ,
अम्बर पे हूँ,
मुझसे सुंदर कौन?
थामलो मेरा हाथ,
मुझसे कर लो बात,
मैं ही मन हूँ,
मैं हूँ जीवन,
धड़कनों के संग-संग हूँ....
क्यूँ मुझको यूँ खोते हो,
मुझसे सुंदर कौन?
कहो...मुझसे सुंदर कौन??????????
सामाजिक कुरीतियाँ और नारी , उसके सम्बन्ध , उसकी मजबूरियां उसका शोषण , इससब विषयों पर कविता
Thursday, August 6, 2009
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9 comments:
सही है तुमसे(नारी) सुन्दर कौन है .....दुनिया मे कोई भी रंग तेरे बिन रन्गहीन है,कोई भी रिश्ता अधूरा है तेरे बिन ,किसी भी चीज का अस्तित्व तेरे बिन अधूरा है .....बहुत ही सुन्दर
वाकई नारी के बगैर सृिश्ट की कल्पना भी नहीं की जा सकती । उसकी सुन्दरता अतुलनीय है ।
वाकई जिसमे सृजन की शक्ति हो और जो जीवन का निर्माण कर सकती हो उससे सुन्दर कौन हो सकता है.
बहुत सुन्दर रचना
सुन्दर को नये रूप में परिभाषित किया है
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'विज्ञान' पर पढ़िए: शैवाल ही भविष्य का ईंधन है!
sundar bhav............badhayi
sunder rachana,saare bhav ek saath jama ho gaye,yaa saare roop kahe,waah.
हमसे बढ़कर कौन ...सच है ...!!
मुझसे सुंदर कौन?
थामलो मेरा हाथ, मुझसे कर लो बात....!
yahi sach hai...!
हाँ सृष्टी सृजन कर्त्री से सुन्दर कोई नहीं हो सकता बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति सुन्दर कलम से बधाई
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