देख के आज नवरात्री का जशन
आत्मा मेरी कर रही प्रश्न
ये कैसा कन्या पूजन है
ये कैसा देवी का आदर
जब खुद अपने हाथो से हम
कर रहे नन्ही कन्यायो का संहार
क्या उन्हें नहीं जीने का अधिकार
देवी की जय करने वालो
तुम कैसे अब चुप बैठे हो
मरते लुट ते देवी के रूपों को कैसे देखे हो
है धिक्कार ऐसी मानवता पे
जिसे अपनी बेटी पे गर्व नही
कोई हक नही इन खूनियो को
के वो माँ का सत्कार करे
इन खून से रंगे हाथो से
माँ भगवती का न सिंगार करे
जो ऐसे कर्म से शर्म सार नहीं
उन्हें देवी पूजन का अधिकार नही !!
उन्हें देवी पूजन का अधिकार नही !!
अँधा धुंध होती कन्या भ्रूण हत्या जैसी शर्म नाक कृत्य हर रोज़ हमारे देश में हो रहे है और हम देवी पूजन कर आशीर्वाद मांग रहे है !! ये कैसी विडंबना है !!
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6 comments:
आपकी उम्दा पोस्ट बुधवार (31-10-12) को चर्चा मंच पर | जरूर पधारें | सूचनार्थ |
धन्यवाद् साहनी जी । मेरे पोस्ट को चर्चामंच पर सम्लित करने के लिए आभार । मैं चर्चा का हिस्सा अवश्य बनूँगी ।
utam- ati utam--***
दिल चक हुआ जाता है ...
आप सबकी प्रशंसा के लिए आभार !!
बहुत सुंदर ,स्वाति जी आप की कविता मन को छू गई |आप का हार्दिक आभार सहित अभिन्दन |बीटा इसी तरह आगे बढ़ो और आप अपने जीवन में उत्तरोत्तर प्रगति करे साथ ही इसी तरह अपने कविताओ के माध्यम से लोगो की आँखे खोले
..........जय जय श्री राधे
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