सामाजिक कुरीतियाँ और नारी , उसके सम्बन्ध , उसकी मजबूरियां उसका शोषण , इससब विषयों पर कविता

Tuesday, October 30, 2012

प्रश्न



देख के आज नवरात्री का जशन
आत्मा मेरी कर रही प्रश्न
ये कैसा कन्या पूजन है
ये कैसा देवी का आदर
जब खुद अपने हाथो से हम
कर रहे नन्ही कन्यायो का संहार
क्या उन्हें नहीं जीने का अधिकार
देवी की जय करने वालो
तुम कैसे अब चुप बैठे हो
मरते लुट ते देवी के रूपों को कैसे देखे हो
है धिक्कार ऐसी मानवता पे
जिसे अपनी बेटी पे गर्व नही
कोई हक नही इन खूनियो को
के वो माँ का सत्कार करे
इन खून से रंगे हाथो से
माँ भगवती का न सिंगार करे
जो ऐसे कर्म से शर्म सार नहीं
उन्हें देवी पूजन का अधिकार नही !!
उन्हें देवी पूजन का अधिकार नही !!
अँधा धुंध होती कन्या भ्रूण हत्या जैसी शर्म नाक कृत्य हर रोज़ हमारे देश में हो रहे है  और हम देवी पूजन कर आशीर्वाद मांग रहे है !!  ये कैसी विडंबना है !!
Swati
© 2008-13 सर्वाधिकार सुरक्षित!

6 comments:

Unknown said...

आपकी उम्दा पोस्ट बुधवार (31-10-12) को चर्चा मंच पर | जरूर पधारें | सूचनार्थ |

Swati said...

धन्यवाद् साहनी जी । मेरे पोस्ट को चर्चामंच पर सम्लित करने के लिए आभार । मैं चर्चा का हिस्सा अवश्य बनूँगी ।

Aditya Tikku said...

utam- ati utam--***

वसुन्धरा पाण्डेय said...

दिल चक हुआ जाता है ...

Swati said...

आप सबकी प्रशंसा के लिए आभार !!

Unknown said...

बहुत सुंदर ,स्वाति जी आप की कविता मन को छू गई |आप का हार्दिक आभार सहित अभिन्दन |बीटा इसी तरह आगे बढ़ो और आप अपने जीवन में उत्तरोत्तर प्रगति करे साथ ही इसी तरह अपने कविताओ के माध्यम से लोगो की आँखे खोले
..........जय जय श्री राधे