वो एक नही जो बे-आबरू हुई
क्या हम सबकी रूह बेज़ार नहीं
वो जो लुटी सर-ए-बाज़ार आज
क्या वो इज्ज़त की हक़दार नहीं
क्या हम सबकी रूह बेज़ार नहीं
वो जो लुटी सर-ए-बाज़ार आज
क्या वो इज्ज़त की हक़दार नहीं
कितने ही दुर्शाशन खड़े
पर कोई रखवाला गोपाल नहीं
कहा छुप्पे तुम आज क्रिशन
क्यों किया ध्रोपधि पे आज उपकार नहीं
पर कोई रखवाला गोपाल नहीं
कहा छुप्पे तुम आज क्रिशन
क्यों किया ध्रोपधि पे आज उपकार नहीं
लुटते, मरते सब देख रहे
कर रहे सियासत इस पर भी
ये कैसा हो गया देश मेरा
यहाँ कोई भी शर्म सार नही
कर रहे सियासत इस पर भी
ये कैसा हो गया देश मेरा
यहाँ कोई भी शर्म सार नही
उसकी सिर्फ आबरू नहीं लुटी
उसकी रूह को चीरा है
उसकी आँखों में दहशत है
उसकी आहो में पीड़ा है
उसकी रूह को चीरा है
उसकी आँखों में दहशत है
उसकी आहो में पीड़ा है
वो शर्मनाक हरक़त वाले
उन्हें इस पाप का अंजाम दो
उसे मौत दो, उसे मौत दो
वो दरिन्दे वो जानवर
किसी माफ़ी के हक़दार नही
Swati उन्हें इस पाप का अंजाम दो
उसे मौत दो, उसे मौत दो
वो दरिन्दे वो जानवर
किसी माफ़ी के हक़दार नही
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