स्वयंवर
जो हुआ था
अम्बा, अम्बिका, अम्बालिका का
सीता और द्रौपदी का
क्या वास्तव में स्वयं-वर था?
अगर था
तो क्या थी स्वयंवर की परिभाषा?
स्वेछित वर चुनने का अधिकार
अथवा कन्या का नीलामी युक्त प्रदर्शन!
जिसमें
इच्छुक उमीदवार
धन-बल की अपेक्षा
लगाते थे अपना बाहू-बल
दिखाते थे अपना पराक्रम और कौशल
और जीत ले जाते थे कन्या को
भले ही इसमें उसकी सहमति
हो या न हो.
तभी तो उठा लाया था भीष्म
उन तीन बहनों को
अपने बीमार और नपुंसक भाइयों के लिए.
और अर्जुन ने बाँट ली थी याज्ञसेनी
अपने भाइयों में बराबर.
वास्तव में ही अगर
स्वयंवर का अधिकार
नारी को मिला होता
तो अम्बिका और अम्बा की
(आत्म) हत्या का बोझ
इतिहास न ढोता.
महा विध्वंसकारी महाभारत का
युद्ध न होता
और हमारी संस्कृति, हमारा इतिहास
कुछ और ही होता.
हाँ ! कुछ और ही होता.
© 2008-10 सर्वाधिकार सुरक्षित!
सामाजिक कुरीतियाँ और नारी , उसके सम्बन्ध , उसकी मजबूरियां उसका शोषण , इससब विषयों पर कविता
Monday, October 11, 2010
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2 comments:
kavita blog par aapka swaagat haen poonam aap ko yahaan daekh kar mujhe khushi hui
बेहद उम्दा रचना सोचने को मजबूर करती है और एक सत्य से रु-ब-रु करवाती है।
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