वो हर इंसान जो
किसी भी नारी को
प्रेरित करता हो
दब्बू बन कर रहने को
और अपने को उस नारी का
शुभ चिन्तक कहता हो
वो एक झूठ को
खुद भी जीता हैं
और दुसरो को भी मजबूर करता हैं
उस झूठ को जीने को
सामाजिक कुरीतियाँ और नारी , उसके सम्बन्ध , उसकी मजबूरियां उसका शोषण , इससब विषयों पर कविता
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1 comment:
वाह चन्द शब्दों मे कितनी बडी और सही बात कह दी। धन्यवाद।
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