सामाजिक कुरीतियाँ और नारी , उसके सम्बन्ध , उसकी मजबूरियां उसका शोषण , इससब विषयों पर कविता

Wednesday, July 21, 2010

नन्ही परी

नन्ही परी
देख तेरे आंगन आई नन्ही परी
हर तरफ से देखो
वह प्रेम से भरी,
सुनकर उसकी कोयल सी आवाज
चला आये तू उस आगाज़
जहां वह खेल रही
देख तेरे अँागन आई नन्ही परी,
वह ले जाती तुझे   
 किसी और लोक में
जब होती वह
तेरी कोख में
तेज आवाज सुन
वह दुनिया से डरी
देख तेरे आँगन
आई नन्ही परी,
रौनक वह आँचल
में लेकर आई,
पास है उसके
चंचलता की झांई
जिसके छूकर
तू हो गई हरी
देख तेरे आँगन
आई नन्ही परी ..... रुचि राजपुरोहित 'तितली'

2 comments:

Neeraj Kumar said...

बहुत ही अच्छी कविता है और बिटिया का जन्म माँ को तो जाने क्या अनुभूति प्रदान करता हो, पिता की भावनाएँ, सोच और स्वभाव सबमेँ परिवर्तन आ जाता है। धन्यवाद, इतनी मधुर भाव की कविता लिखी आपने...

Sadhana Vaid said...

बहुत सुन्दर और भावपूर्ण रचना ! बधाई एवं शुभकामनाएं