देख तेरे आंगन आई नन्ही परी
हर तरफ से देखो
वह प्रेम से भरी,
सुनकर उसकी कोयल सी आवाज
चला आये तू उस आगाज़
जहां वह खेल रही
देख तेरे अँागन आई नन्ही परी,
वह ले जाती तुझे
किसी और लोक में
जब होती वह
तेरी कोख में
तेज आवाज सुन
वह दुनिया से डरी
देख तेरे आँगन
आई नन्ही परी,
रौनक वह आँचल
में लेकर आई,
पास है उसके
चंचलता की झांई
जिसके छूकर
तू हो गई हरी
देख तेरे आँगन
आई नन्ही परी ..... रुचि राजपुरोहित 'तितली'
2 comments:
बहुत ही अच्छी कविता है और बिटिया का जन्म माँ को तो जाने क्या अनुभूति प्रदान करता हो, पिता की भावनाएँ, सोच और स्वभाव सबमेँ परिवर्तन आ जाता है। धन्यवाद, इतनी मधुर भाव की कविता लिखी आपने...
बहुत सुन्दर और भावपूर्ण रचना ! बधाई एवं शुभकामनाएं
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