कम उम्र विवाहिता
माँ नहीं बना चाहती
समाज कहता हैं
नहीं गर्भपात नहीं करवा सकती
कम उम्र अविवाहिता
माँ बनना चाहती हैं
समाज कहता हैं
नहीं गर्भपात करवा दो
बच्चे का आना
खुशी अगर हैं
माँ बनना खुशी अगर हैं
तो सबके लिये क्यूँ नहीं हैं
{ बालिका वधु सीरीयल की आज की कड़ी देखकर बस यही समझ आया }
© 2008-09 सर्वाधिकार सुरक्षित!
सामाजिक कुरीतियाँ और नारी , उसके सम्बन्ध , उसकी मजबूरियां उसका शोषण , इससब विषयों पर कविता
Friday, May 29, 2009
Thursday, May 14, 2009
बेटे जैसी नहीं होती हैं बेटियाँ
मेरी बेटी किसी बेटे से कम नहीं
कह कर कब तक
बेटी को बेटे से कमतर मानोगे
और
कब बेटी को सिर्फ़ और सिर्फ़ इस लिये चाहोगे
कि वो बेटी तुम्हरी हैं
हर समय बेटे रूपी कसौटी पर
क्यों बेटियों के हर किये को
कसा जाता हैं
और कब तक बेटियों को
अपना खरा पन
बेटे नाम कि कसौटी पर
घिस घिस कर
साबित करना पडेगा
कुछ इतिहास हमे भी बताओ
कुछ कारण यहाँ भी दे जाओ
बेटो ने ऐसा क्या किया
जो बेटी को बेटे जैसा
तुम बनाते जाते हो
और उसके अस्तित्व को
ख़ुद ही मिटाते जाते हो
या
बेटे जैसा कह कर
अपने मन को संतोष तुम देते हो
बेटा और बेटी
दोनों अंश तुम्हारे ही हैं
फिर जैसा कह कर
एक आंख को क्यूँ
दूसरी से नापते हो
बेटे जैसी नहीं होती हैं बेटियाँ
बेटियाँ बस बेटियाँ होती हैं
© 2008-09 सर्वाधिकार सुरक्षित!
कह कर कब तक
बेटी को बेटे से कमतर मानोगे
और
कब बेटी को सिर्फ़ और सिर्फ़ इस लिये चाहोगे
कि वो बेटी तुम्हरी हैं
हर समय बेटे रूपी कसौटी पर
क्यों बेटियों के हर किये को
कसा जाता हैं
और कब तक बेटियों को
अपना खरा पन
बेटे नाम कि कसौटी पर
घिस घिस कर
साबित करना पडेगा
कुछ इतिहास हमे भी बताओ
कुछ कारण यहाँ भी दे जाओ
बेटो ने ऐसा क्या किया
जो बेटी को बेटे जैसा
तुम बनाते जाते हो
और उसके अस्तित्व को
ख़ुद ही मिटाते जाते हो
या
बेटे जैसा कह कर
अपने मन को संतोष तुम देते हो
बेटा और बेटी
दोनों अंश तुम्हारे ही हैं
फिर जैसा कह कर
एक आंख को क्यूँ
दूसरी से नापते हो
बेटे जैसी नहीं होती हैं बेटियाँ
बेटियाँ बस बेटियाँ होती हैं
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Wednesday, May 13, 2009
ईश्वर बस बेटी न देना
लडकियां इतना कैसे लड़ लेती हैं
कैसे अपने लिये हर जगह
जगह बना लेती हैं ??
कैसे जीतना हैं उनको
अपना मिशन बना लेती हैं ??
कैसे कम खाना खा कर भी
सेहत सही रहे ये जान लेती हैं ??
बहुत आसन हैं
जब माँ के पेट मे होती हैं
तभी से सुनती हैं
माँ की हर धड़कन कहती हैं
इश्वर लड़की ना देना
जो कष्ट मैने पाया
वो संतान को पाते ना देख पाउंगी
हे विधाता बेटी ना देना
बस यही सुन सुन कर नौ महीने मे
माँ के खून के साथ
सरवाईवल ऑफ़ द फीटेस्ट
की परिभाषा
को जीती हैं लडकियां
और
जिन्दगी की आने वाली लड़ाई के लिये
अपने को तैयार कर लेती हैं
हर सफल लड़की के पीछे
होती हैं एक माँ की
कामना की
ईश्वर बस बेटी न देना
कुछ कमेंट्स पढ़ने के बाद ये लिखना जरुरी होगया हैं की ये किसी माँ की कामना नहीं हैं की उसके बेटी ना हो ये एक माँ का दर्द हैं जो ईश्वर से बेटी न देने की प्रार्थना कर रहा हैं कल मेरी एक दोस्त ने बताया था की वो अपनी बेटी के लिये विवाह योग्य वर देख रही हैं पर नहीं मिल रहा और क्युकी उसकी शादी से ले कर उसकी बेटी की शादी तक मे भी समाज मे कुछ नहीं बदला हैं । आज भी बेटी की शादी केवल और केवल पैसे से ही होती हैं ।
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कैसे अपने लिये हर जगह
जगह बना लेती हैं ??
कैसे जीतना हैं उनको
अपना मिशन बना लेती हैं ??
कैसे कम खाना खा कर भी
सेहत सही रहे ये जान लेती हैं ??
बहुत आसन हैं
जब माँ के पेट मे होती हैं
तभी से सुनती हैं
माँ की हर धड़कन कहती हैं
इश्वर लड़की ना देना
जो कष्ट मैने पाया
वो संतान को पाते ना देख पाउंगी
हे विधाता बेटी ना देना
बस यही सुन सुन कर नौ महीने मे
माँ के खून के साथ
सरवाईवल ऑफ़ द फीटेस्ट
की परिभाषा
को जीती हैं लडकियां
और
जिन्दगी की आने वाली लड़ाई के लिये
अपने को तैयार कर लेती हैं
हर सफल लड़की के पीछे
होती हैं एक माँ की
कामना की
ईश्वर बस बेटी न देना
कुछ कमेंट्स पढ़ने के बाद ये लिखना जरुरी होगया हैं की ये किसी माँ की कामना नहीं हैं की उसके बेटी ना हो ये एक माँ का दर्द हैं जो ईश्वर से बेटी न देने की प्रार्थना कर रहा हैं कल मेरी एक दोस्त ने बताया था की वो अपनी बेटी के लिये विवाह योग्य वर देख रही हैं पर नहीं मिल रहा और क्युकी उसकी शादी से ले कर उसकी बेटी की शादी तक मे भी समाज मे कुछ नहीं बदला हैं । आज भी बेटी की शादी केवल और केवल पैसे से ही होती हैं ।
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Sunday, May 10, 2009
उड़ान
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