रचना जी,
मैंने "माँ" विषय पर एक कविता लिखी है, अगर नारी की कविता ब्लॉग के लिए यह उपयुक्त हो तो मैं आप सबसे साझा करना चाहूँगा |
माँ
जीवन की रेखा की भांति जिसकी महत्ता होती है,
दुनिया के इस दरश कराती, वह तो माँ ही होती है |
खुद ही सारे कष्ट सहकर भी, संतान को खुशियाँ देती है,
गुरु से गुरुकुल सब वह बनती, वह तो माँ ही होती है |
जननी और यह जन्भूमि तो स्वर्ग से बढ़कर होती है,
पर थोडा अभिमान न करती, वह तो माँ ही होती है |
"माँ" छोटा सा शब्द है लेकिन, व्याख्या विस्तृत होती है,
ममता के चादर में सुलाती, वह तो माँ ही होती है |
संतान के सुख से खुश होती, संतान के गम में रोती है,
निज जीवन निछावर करती, वह तो माँ ही होती है |
शत-शत नमन है उस जीवट को, जो हमको जीवन देती है,
इतना देकर कुछ न चाहती, वह तो माँ ही होती है |
Thank you
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14 comments:
निज जीवन निछावर करती, वह तो माँ ही होती है |
शत-शत नमन है उस जीवट को, जो हमको जीवन देती है,
ब्क़हुत सुन्दर रचना है। सच मे माँ काकर्ज़ चुकाना बहुत मुश्किल है। प्रदीप जी को शुभकामनायें।
माँ को कितना ही हम परिभाषित करें वह परिभाषाएं अधूरी होती हैं लेकिन माँ सबसे अधिक ममता , स्नेह और त्याग करने वाली होती है. माँ हरहाल में पूज्यनीय है.
आपकी रचनात्मक ,खूबसूरत और भावमयी
प्रस्तुति भी कल के चर्चा मंच का आकर्षण बनी है
कल (12-5-2011) के चर्चा मंच पर अपनी पोस्ट
देखियेगा और अपने विचारों से चर्चामंच पर आकर
अवगत कराइयेगा और हमारा हौसला बढाइयेगा।
http://charchamanch.blogspot.com/
भगवान राम ने शिव-धनुष तोड़ा, सचिन ने क्रिकेट में रिकार्ड तोड़ा, अन्ना हजारे ने अनशन तोड़ा, प्रदर्शन-कारियों रेलवे-ट्रैक तोड़ा, विकास-प्राधिकरण ने झुग्गी झोपड़ियों को तोड़ा। लोगों ने लक्ष्य तक पहुँचने के लिए अपने-अपने तरीके से बहुत कुछ तोड़ा है। तोड़ा-तोड़ी की परंपरा हमारे देश में सदियों पुरानी है। आपने कुछ तोड़ा नहीं अपितु माँ की रचनात्मकता से दिलों को जोड़ा है। इस करुणा और ममत्व को बनाए रखिए। भद्रजनों के जीवन की यही पतवार है। आपकी रचना का यही सार है। साधुवाद!
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सद्भावी -डॉ० डंडा लखनवी
नारी की कविता ब्लॉग में अपनी कविता को पाकर बहुत खुश हूँ. सबसे पहले रचना जी को धन्यवाद् जिन्होने मेरी कविता को इस ब्लोग्मे स्थान दिया. साथ में मेरी कविता को पढने वालों और अपनी राय व्यक्त करने वालों को भी दिल से धन्यवाद्. कृपया मेरे ब्लॉग पर भी आयें और अपनी उपयुक्त टिप्पणी देकर कृतार्थ करें.
www.pradip13m.blogspot.com
Bahut sunder ....
बहुत हृदयस्पर्शी भावाभिव्यक्ति ! बहुत सुन्दर !
good wishes for all mumma....
very nice post...
माँ को शब्दों में परिभाषित नहीं किया जा सकता ...शब्द कम पड़ जाते हैं ...अच्छी प्रस्तुति
"माँ" छोटा सा शब्द है लेकिन, व्याख्या विस्तृत होती है... सच कहा... माँ के बारे में जितना कहा सुना जाए..कम है.. आपको शुभकामनाएँ
बढ़िया पोस्ट....माँ को समर्पित
माँ से बढ़कर कोई नहीं ...
bahut sahi.....
"maa" hasti hi kuch aisi hoti hai :)
ye varnmala ke thode se akshar aur unse bane lakho shabd bhi "maa" ko explain karne ki aukad nahi rakhte ||
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मैं , मेरा बचपन और मेरी माँ || (^_^) ||
राजनेता - एक परिभाषा अंतस से (^_^)
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